कमर्शियल यूनिट का पोजेशन न देना चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को पड़ा भारी

Tuesday, Jul 26, 2016 - 08:37 PM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): लैफ्टिनैंट कर्नल के बेटे सैक्टर-34सी निवासी जसजीत सुरी व उनकी पत्नी हरनीत सुरी को एक प्रोजैक्ट में कमर्शियल साइट अलॉट कर उसका समय पर पोजेशन न देने के मामले में चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को स्टेट कंज्यूमर कमीशन ने हर्जाना भरने के आदेश दिए हैं। चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिए गए हैं कि वह शिकायतकर्ता पक्ष को उनके द्वारा जमा करवाए 9.50 लाख रुपए 15 प्रतिशत ब्याज दर सहित चुकाए। 

 
वहीं शिकायतकर्ता पक्ष को आई शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा के रूप में 1 लाख रुपए हर्जाना राशि भरे। इसके अलावा 30 हजार रुपए अदालती खर्च के रूप में दे। चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के सैक्टर-34ए स्थित ऑफि स के खिलाफ फरवरी, 2016 में संबंधित शिकायत दायर की गई थी।
 
डिजाइन स्टूडियो का काम रूक गया था
शिकायत के मुताबिक चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड ने मोहाली के सैक्टर-90 में फैशन टैक्रॉलोजी पार्क नामक प्रोजैक्ट शुरू किया था। शिकायतकर्ता  पक्ष ने रेडीमेड गारमैंट आऊ टलेट खरीदने के लिए यहां एक यहां एक डिजाइन स्टूडियो बुक करवाया था। शुरूआती रकम चुकाने के बाद उन्हें संबंधित साइट अलॉट हुई थी। दिसंबर, 2006 में बॉयर एग्रीमैंट साइन हुआ था। 9.50 लाख रुपए की राशि जमा करवाने के बाद बाकी की रकम यूनिट का पोजेशन मिलने पर देय थी। 
 
शिकायत के मुताबिक संबंधित साइट की कंस्ट्रक्शन रूक गई थी और पोजेशन के तय समय में देरी थी। जिसके चलते शिकायतकर्ता ने बॉयबैक ऑप्शन लेने की सोची। जून, 2010 में शिकायतकर्ता पक्ष को बताया गया कि पोजेशन में देरी के चलते उन्हें 30 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट के हिसाब से प्रति माह के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। ऐसे में कुछ महीनों की मुआवजा राशि अदा की गई जिसके बाद यह बंद हो गई। बॉयबैक ऑप्शन के दौरान शिकायतकर्ता पक्ष 15 लाख रुपए लेने के हकदार थे। 
 
इसी बीच शिकायतकर्ता पक्ष को पता चला कि कंपनी किसी दूसरी कंपनी को प्रौजैक्ट बेच रही है। ऐसे में प्रोजैक्ट जेड बिजनैस पार्क के नाम से लांच होगा। शिकायतकर्ता द्वारा अपनी रकम की वापसी की मांग स्टेट कंज्यूमर कमीशन में रखी गई जिसे लेकर कमीशन ने चंडीगढ़ ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस भेज जवाब मांगा, जिसमें उसने कहा कि संबंधित एग्रीमैंट में ऑर्बिटेशन क्लॉज होने के चलते कमीशन के पास केस की सुनवाई का अधिकार नहीं है। साथ ही कहा कि शिकायतकर्ता कंज्यूमर की श्रेणी में नहीं आता। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कमीशन ने शिकायतकर्ता के हक में यह फैसला दिया। 
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