विलुप्त होती प्रजातियों का होगा सर्वे

punjabkesari.in Friday, Jan 08, 2021 - 08:51 PM (IST)

चंडीगढ़, (अर्चना सेठी): अम्बाला, पंचकूला और यमुनानगर जिलों की सड़कों पर देसी आम की पौध लगाई जाएगी। हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी.एस. तंवर का कहना है कि प्रदेश में देसी आम की पौध कम होती जा रही है इसलिए देसी आम का बढ़ी संख्या में पौधारोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। तंवर का कहना है कि वन विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में एक सर्वेक्षण कर यह भी देखा जाएगा कि हरियाणा के किस जिले में कौन से पेड़ पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं।

 

विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए पौधारोपण तेजी से किया जाएगा। उनका मानना है कि प्रकृति शिक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है और इसके बूते प्रदेश के बच्चों और युवाओं को जागरूक करने के बाद उन्हें प्रकृति के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि प्रदेश का कोना-कोना हरा भरा हो जाए। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए हरियाणा वन विभाग एक योजना तैयार कर रहा है। अभियान के अंतर्गत शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर, विद्याॢथयों के लिए शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम, नागरिकों को वृक्ष खेती की ट्रेङ्क्षनग देकर आत्मनिर्भर भारत का सबक सिखाया जाएगा। 


तंवर का कहना है कि विद्याॢथयों को वृक्षदूत बनाने की शिक्षा प्रदान की जाएगी। बच्चों को सिर्फ पौधारोपण के लिए ही नहीं अपितु पौधों की वृक्ष बनने तक की देखभाल का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। फरवरी महीने में खाली पड़ी जमीनों पर सामुदायिक हिस्सेदारी से पौध संस्कृति को जीवन जीने का आधार बनाया जाएगा। 


‘विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी’ 
बागवानी संस्कृति हर घर आंगन में नजर आए इसके लिए विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी। नैशनल पार्क कलेसर यमुनानगर हर्बल पार्क चुहड़पूर, नेचर कैंप थापली पंचकूला, पक्षी बिहार ङ्क्षभडावास झज्जर, पक्षी बिहार सुल्तानपुर गुरुग्राम को समाज के लिए प्रकृति दर्शन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी चिडिय़ा घरों एवं प्रकृति संवद्र्धन केंद्रों को भी रचनात्मक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। फरवरी माह में हमारी नदियां जीवन धारा है अभियान के तहत यमुना नदी के किनारे सभी पंचायतों में विशेष अभियान आयोजित किया जाएगा। सभी हर्बल पार्क में औषधीय पौधों के महत्व को बताने के लिए पर्यावरण मंडप स्थापित किया जाएगा। एन.जी.टी. की गाइड लाइन को प्रत्येक विद्याॢथयों तक पहुंचाने के लिए पर्यावरण साहित्य वितरित किया जाएगा। 
 


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Vikash thakur

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