एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमैंट में 7 साल से चल रहा था टैक्स चोरी का खेल

Sunday, Sep 16, 2018 - 08:26 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : यू.टी. प्रशासन को करोड़ों की चपत लगाने वाला एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमैंट का टैक्स घोटाला बीते सात साल से जारी था। विजीलैंस के सूत्रों की मानें तो इस टैक्स घोटाले में घपले की रकम 200 करोड़ रुपए से भी ऊपर पहुंच सकती है। 

उधर, एक्साइज-टैक्सेशन डिपार्टमैंट के अधिकारियों की मानें तो 25 सितम्बर तक सारी कैलक्यूलेशन पूरी कर ली जाएगी कि टैक्स छुपाने से कंपनियों ने विभाग को कितनी चपत लगाई है। यह कैलक्यूलेशन विजीलैंस को सौंप दी जाएगी। विजीलैंस अधिकारियों ने बताया कि जहां तक एक बात स्पष्ट हो रही है कि घपला कोई एक दो साल से नहीं चल रहा था बल्कि पिछले सात साल से जारी था।

90 प्रतिशत एंट्रीज हो चुकी हैं चैक :
विजीलैंस के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने कुल 45 हजार एंट्रीज चैक करनी थी, जिसमें से करीब 90 प्रतिशत यानि 40 हजार के करीब जांची जा चुकी हैं। अभी लगभग 5 हजार जांची जानी बाकी हैं। इनमें भी बड़ा हेरफेर हो सकता है। एक्साइज-टैक्सेशन के रजिस्ट्रों में भी बड़े स्तर पर टैंपरिंग है। 

जी.एस.टी. और वैट से सालाना 1800 करोड़ रुपए राजस्व कमाता है डिपार्टमैंट :
शहर में इस वक्त 20 हजार कंपनियां या डीलर हैं जिनसे एक्साइज-टैक्सेशन विभाग हर माह 110 करोड़ रुपए का जी.एस.टी. वसूलता है। इसी तरह पैट्रोल पंपों व लीकर वैंडरों या ठेकों से 40 करोड़ रुपए का वैट वसूला जाता है। यानि हर माह 150 करोड़ की कर वसूली विभाग करता है। अगर सालाना बात करें तो इन मदों से विभाग को हर साल 1800 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। 

विजीलैंस कह रहा है कि टैक्स बचाने का खेल बीते सात साल से चल रहा था, वहीं एक्साइज-टैक्सेशन के अधिकारी बता रहे हैं कि घपला जून-जुलाई 2016 से शुरू हुआ। मंथली टैक्स तो सभी कंपनियां पहले की भांति देती रही। 

इंटर स्टेट टैक्स पर निर्धारित सेल के मुताबिक टैक्स जमा करा दिया जाता था जिसकी वजह से विभाग के अधिकारियों को कभी शक भी नहीं हुआ लेकिन सेल बढ़ गई तो उसके अनुरूप विभाग को सी फार्म नहीं दिए। यहां विभाग असेस्मैंट करने में चूक गया। कंपनियां इसी का फायदा उठाती रही। 

Priyanka rana

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