हिरण और चीते की खाल अवैध तौर पर रखने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई

Tuesday, Dec 12, 2017 - 09:18 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : हिरण और चीते की खाल अवैध तौर पर रखने वालों पर चंडीगढ़ प्रशासन का एन्वायरनमैंट डिपार्टमैंट सख्त कार्रवाई करेगा। हाथी के दांत, उल्लू के नाखून, शहतूश की शॉल की खरीद-फरोख्त वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एक्ट-1972 के अंतर्गत अपराध है। बावजूद इसके चंडीगढ़ में शहतूश की शालें बिक रही हैं और लोग तंत्र-मंत्र के लिए शेर, चीते और हिरण की खाल, उल्लू के नाखून और हाथी दांत खरीद रहे हैं। 

 

सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर से शाले बेचने के लिए सैंकड़ों कश्मीरी आ चुके हैं और वह गुपचुप तरीके से चीरू की रोए से बनी शहतूश की शालें बेच रहे हैं। चीरू की दुर्लभ प्रजाति बचाने के लिए भले पर्यावरण मंत्रालय 15 साल पहले ही शहतूश की शाल पर प्रतिबंध लगा चुका है लेकिन शालें आज भी गैरकानूनी तरीके से बिक रही हैं। मामला सामने आने पर चीजों को गिफ्ट का नाम दे दिया जाता है। 

 

चीरू की रोयों से बनने वाली शॉल की कीमत 3 लाख रुपए से लेकर साढ़े चार लाख रुपए के बीच है। जानवरों की खाल और अंगों से बनने वाली चीकाों की कीमत भी लाखों में है। चंडीगढ़ में वन्य जीव प्राणियों से तैयार सिर्फ 183 रजिस्टर चीजें हैं, जो वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एक्ट के अंतर्गत आती हैं उनमें 95  शहतूश की शालें शामिल हैं। 

 

नार्थन सैक्टर्स में रहने वाले लोगों के पास है दुर्लभ विरासत : 
प्रशासन के इनवार्यनमैंट डिपार्टमैंट के रिकार्ड की मानें तो चंडीगढ़ के नार्थन सैक्टर में रहने वाले लोगों के पास करोड़ों रुपए की वन्यजीव प्राणियों से जुड़ी चीजें हैं। हिरण के सींग, शेर, चीते और हिरण की खाल, हाथी के दांत, उल्लू के नाखून, हाथी दांत से बने कंगन इत्यादि हैं। 

 

जानवरों के अंगों से बनी चीकाों को लोगों ने न सिर्फ अपनी रईसी दिखाने के लिए खरीद रखा है बल्कि ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है जो ज्योतिष के मुताबिक अपने ग्रहों की बुरी दशा को सुधारने के लिए घरों में जानवरों की खाल टांगते हैं। मंगल को शांत करने के लिए हिरण की खाल, राहू केतू को प्रसन्न रखने के लिए शेर व चीते की खाल और शनि ग्रह के लिए हाथी के दांतों को लोग घर में स्थान देते हैं। 

 

चंडीगढ़ के ज्योतिषी पंडित रविंद्र आचार्य मिश्र ने बताया कि जानवरों के नाखून, सिंग और खालों का उपयोग तांत्रिकों द्वारा किया जाता है दूसरे ज्योतिषी तो रत्न और मोतियों के दम पर ग्रहों को शांत करवा देते हैं कुछ ऐसी जनेऊ से जुड़ी पूजा जरूर होती हैं जिसमें हिरण की खाल मांगी जाती है परंतु लोगों को वह कहां से मिलेगी सोचकर बहुत सी पूजा सालों साल लटकती रहती हैं। 

 

ऐसे बनती हैं शहतूश की शालें :
-चीरू की नाभि के निचले हिस्से के रोए लिए जाते हैं। 
-गर्भवत्ती मादा चीरू के गर्भस्थ चीरू के रोयों का इस्तेमाल करने के लिए मादा चारू और गर्भस्थ चीरू को मार दिया जाता है। 
-110 ग्राम की शाल के लिए चार चीरू का खून किया जाता है। 
-चीरू के रोयों की कताई की जाती है। 
-रोयों से बने धागों की रंगाई की जाती है। 
-रंगीन धागों से खूबसूरती शहतूश की शालों का निर्माण किया जाता है। 

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