प्री-पेड मीटर की संभावनाएं तलाशे बिजली विभाग: गोयल

Tuesday, Jan 15, 2019 - 11:42 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन): ज्वाइंट इलैक्ट्रीसिटी रेगुलैटरी कमीशन के चेयरमैन एम.के. गोयल ने प्रशासन को प्री-पेड मीटरों की संभावना तलाशने की सलाह दी है। यह विकल्प अपनाने की सलाह बिजली विभाग को इसलिए दी जा रही है ताकि घाटे से निपटा जा सके। गोयल ने बताया कि प्रतिमाह बिजली का बिल भेजने के अलावा यह दूसरा विकल्प हो सकता है। लोग बिजली की जितनी खपत चाहते हैं, वह इसके प्री-पेड कार्ड पहले से ही ले लें।

इससे विभाग के पास खपत से पहले ही पैसा आ जाएगा जिससे जिन संस्थानों से बिजली खरीदी जा रही है, उन्हें अदायगी में आसानी रहेगी। उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी कि पहले चरण में हर माह बिजली का बिल भेजने का प्रबंध कर दें। इससे भी विभाग को जहां फायदा मिलेगा वहीं उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा। 

आऊटसोर्सिंग पर कर्मचारी तैनात करें
इस वक्त सवा दो लाख बिजली उपभोक्ता हैं। विभाग को लगभग 800 से 900 करोड़ के बीच बिजली के बिलों से कुल राजस्व आता है। अधिकारियों के अनुसार मेन रेवैन्यू इंडस्ट्रीयल एरिया से ही है। यहां से विभाग को कुल रेवैन्यू का 20 प्रतिशत मिलता है। जे.ई.आर.सी. भले ही हर माह बिजली के बिल भेजने की बात कर रहा हो लेकिन अभी बिजली विभाग के लिए हर महीने सवा दो लाख उपभोक्ताओं के मीटरों की रीडिंग तैयार करना आसान काम नहीं है। जे.ई.आर.सी. के चेयरमैन को बिजली विभाग के अधिकारियों ने यही दलील दी कि इसके लिए दोगुने कर्मचारी लगाने होंगे। गोयल ने हिदायत दी कि आऊटसोर्सिंग पर मीटर रीडिंग कर्मचारी तैनाती की तैयारी करें। 

लाइन लॉस कम किया 
जे.ई.आर.सी. की हिदायतों पर ही पिछले तीन साल में विभाग ने अपने लाइन लॉस 16 प्रतिशत से लगभग 13.50 प्रतिशत तक कर लिए हैं। चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद का कहना है कि बिजली विभाग को प्रॉफिट में पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिससे अब बिजली विभाग बेहतर स्थिति में है। विभाग ने कुछ देर पहले इंडस्ट्रीयल एरिया में सब डिवीजन नंबर 5 के तहत स्मार्ट ग्रिड का पायलेट प्रोजैक्ट शुरू किया था। इंडस्ट्रीयल एरिया फेस 1 व 2, रामदरबार, सैक्टर-26, 27, 28, 29 व 30 में स्मार्ट मीटर इंस्टाल किए गए थे। यहां पायलेट प्रोजैक्ट के सफल नतीजे सामने आए हैं। अब स्मार्ट मीटर का यह प्रोजेक्ट पूरे शहर में स्कॉडा के तहत लागू किया जाना है। इस पर 41 से 42 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। स्मार्ट मीटर लगाने से न केवल इंटीग्रेटिड कंट्रोल सैंटर पर बिजली चोरी का पता चल जाएगा बल्कि यह भी पता चल जाएगा कि कौन कौन से उपभोक्ता बिल डिफाल्टर हैं। 

bhavita joshi

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