ई-गवर्नैंस प्रोजैक्ट में खामियां, सैंटर व सेवा केंद्रों पर सुविधाएं नदारद

Sunday, Mar 11, 2018 - 11:32 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : देश के सबसे शिक्षित शहरों में शुमार चंडीगढ़ से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसे पंजाब के मोहाली में ई-गवर्नैंस की हालत इतनी अच्छी नहीं है। न तो मोहाली में मौजूद सुविधा सैंटरों में पंजाब के कुछ अन्य जिलों की तरह बेहतरीन बिल्डिंग है और न ही यहां उपलब्ध हैं अन्य सुविधाएं। सुविधा सैंटरों में काम करने वाले मुलाजिम भी सर्विस कंडीशन से खुश नहीं नजर आए। 

 

सैलरी के नाम पर इन्हें महज 8 हजार या इससे कुछ अधिक की ही राशि दी जा रही है, जो परिवार चलाने के लिए बिलकुल पर्याप्त नहीं है। यहां तैनात कर्मचारी अभी तक तो इस उम्मीद के जरिए दिन काट रहे थे कि सरकार उन्हें उनके तजुर्बे और सर्विस में गुजार चुके सालों के आधार पर नौकरी में पक्का कर देगी लेकिन अब सरकार ने ही पॉलिसी बदल दी। 

 

इससे भी हैरानी वाली बात यह पाई गई कि मोहाली जिले के अलग-अलग स्थानों पर जहां ये सुविधा सैंटर खुले हुए हैं वहां लोगों को पता ही नहीं कि यहां सुविधा सैंटर उपलब्ध है। मोहाली प्रशासन ने इन सैंटरों का डिस्प्ले बढिय़ा तरीके से नहीं किया, जिससे लोगों को दिक्कतें पेश आ रही हैं।

 

नवांशहर के सुविधा सैंटर में 26 काऊंटर खुले :
मोहाली में खुले सुविधा सैंटर में केवल 8 काऊंटर थे, जबकि नवांशहर में 26 काऊंटर खोले गए थे। अमृतसर में हालत और भी खराब थी और यहां मुलाजिमों की काफी कमी दिखाई दी। 

 

सुविधा सैंटरों को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत यह पेश आई कि सरकार की ओर से लोगों की जानकारी के लिए सिटीजन चार्टर के तहत कोई डिस्प्ले नहीं था, जिससे लोगों को पता ही नहीं था कि यहां सुविधा उपलब्ध है। 

 

डा. ज्योति ने पाया कि अगर इन सुविधा सैंटरों की तादाद बढ़ाई जाए तो ई-गवर्नैंस प्रोजैक्ट, जिसमें संपूर्ण डाटा व रिकार्ड कंप्यूटराइज्ड करने की कवायद है, बेहतरीन सफल प्रोजैक्ट के तौर पर उभरेगा।

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