जी.एम.सी.एच.-32 के डा. निशित ने खोजा पी.एस.पी. का इलाज

Wednesday, Dec 05, 2018 - 09:09 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : जी.एम.सी.एच.-32 के न्यूरोलॉजिस्ट डा. निशित सावल ने प्रोग्रैसिव सुप्रो न्यूक्लियर पॉलिसी (पी.एस.पी.) के मरीजों के लिए इलाज ढूंढ़ा है। दुनिया में अभी तक इसका कोई इलाज नहीं था। पी.एस.पी. एक ब्रेन डिस्ऑर्डर से संबंधित बीमारी है, जिसे आमतौर पर पार्किसन की तरह देखा जाता है। जी.एम.सी.एच. दुनिया का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जिसने इन मरीजों का इलाज खोजा है।

 जी.एम.सी.एच. में आने वाले पी.एस.पी. के 10 मरीजों को ट्रायल के तौर पर मिथाइल फैनीडेट नामक दवाई दी गई थी, जिसके बाद मरीजों में एक माह के अंदर काफी सुधार देखा गया है। पी.एस.पी. दिमाग की उन कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जो आंख की गतिविधि नियंत्रित करती हैं। इसकी वजह से मरीज सही तरीके से चल भी नहीं पाता। 

10 मरीजों पर किया गया ट्रायल
साल 2017 में इस ट्रायल में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ के 10 मरीजों को शामिल किया गया था, जिन्हें मिथाइल फैनीडेट दवाई दी गई थी। जिस तरह का पॉजिटिव रिस्पांस इन मरीजों में देखने को मिला है, वह वाकई चौंकाने वाला था। एक महीने के अंदर ही मरीज के बिना गिरे चलने में काफी सुधार हुआ, देखने की क्षमता बढ़ी, तो वहीं अटैंशन बढ़ा। ट्रॉयल में शामिल मरीजों की उम्र 53 साल से 82 साल की थी। डा. सावल ने बताया कि अभी तक पी.एस.पी. के मरीजों को सिंडोपा की दवाई दी जाती थी जो कि पार्किसन में काफी इफैक्टिव है लेकिन पी.एस.पी. में इसका कोई यूज नहीं है। डॉ. निशित सावल को उनकी रिसर्च पर इंटरनैशनल कांग्रेस मूवमैंट डिस्ऑर्डर सोसायटी हांगकॉग में सम्मानित किया गया है।

हैड और नेक इंजरी बहुत कॉमन होती है पी.एस.पी. में 
पी.एस.पी. में मरीज सीधा खड़ा तक नहीं होता। जैसे ही चलने की कोशिश करता है तो वह पीछे की ओर गिर जाता है। वह नीचे भी नहीं देख पाता, जिसकी वजह से मरीजों में हैड, नेक की इंजरी होना बहुत कॉमन होता है। 

bhavita joshi

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