जन्म के बाद यदि बच्चा नहीं खाता खाना तो हो सकती हैं यह बीमारी

Monday, Jun 19, 2017 - 09:33 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): पी.जी.आई. एडवांस पैडिएट्रिक सर्जरी विभाग में हर वर्ष 250 नवजात बच्चे ट्रैकियल इसोफेगल फिस्टुला बीमारी को लेकर आ रहे है। पैडिएट्रिक सर्जरी विभाग के प्रोफैसर जे.के. महाजन की मानें तो इस बीमारी में जन्म से लेकर एक वर्ष तक बच्चा न तो कुछ खा पाता है और न ही नवजात दूध पी पाता है। पी.जी.आई. में इस वक्त 19 ऐसे बच्चों की सर्जरी की गई है जिन्हें यह बीमारी थी। पी.जी.आई. पूरे देश में इकलौता ऐसा अस्पताल है जहां इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की सर्जरी की गई है। 

 

पी.जी.आई. सर्जिकल एमरजैंसी में इस बीमारी के मामले आना काफी आम बात है। प्रोफैसर महाजन की मानें तो पंजाब, हरियाणा वह हिमाचल में इस बीमारी के अच्छे एक्सपर्ट नहीं है जिस वजह से मरीज दूरदराज से भी अपने बच्चों का इलाज करवाने पी.जी.आई. आते हैं। पी.जी.आई. इस बीमारी को ट्रीट करने में महारत हासिल कर चुका है। नवजात बच्चों में यह बीमारी काफी दुर्लभ होती है। हर 2500 से 3000 बच्चों में से 1 बच्चे को यह बीमारी होती है, सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज है।

 

फूड पाइप नहीं बनती 
इस बीमारी की पहचान काफी मुश्किल होती है। प्रोफैसर महाजन की मानें तो मुंह से झाग आना व बच्चे के मुंह से बहुत ज्यादा थूक आना इस बीमारी के लक्षणों में शामिल है। इस बीमारी में बच्चे की फूड पाइप नहीं बन पाती जिसकी वजह से बच्चे को खाना नहीं पचता भी खाना दोबारा फूड पाइप मं वापसी आ जाता है। सर्जरी ही एकमात्र इस बीमारी का इलाज तो है ही साथ ही इस बीमारी में फॉलोअप बहुत जरूरी है। अगर फॉलोअप नहीं हो तो और बीमारी होने के चांस बढ़ जाते हैं। बच्चों की इस दुर्लभ बीमारी में उन्हें दूसरी बीमारी होने के चांस भी होते हैं। दिल, बैकबोन किडनी भी दूसरे ऑर्गन्स को भी काफी नुक्सान पहुंच जाता है। वहीं अगर इस बीमारी के होने की बात करें तो फैमिली हिस्ट्री व एन्वॉयरमैंट भी इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है।


 

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