समय से प्लाट का पजेशन नहीं देना पड़ा महंगा, अब भरना पड़ेगा लाखों का जुर्माना

Tuesday, Nov 22, 2016 - 09:30 AM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): यू.टी. स्टेट कंज्यूमर कमीशन ने प्यूमा रिएल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 2 मामलों में संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए इसे दोनों केसों में 2.50-2.50 लाख रुपए हर्जाना भरने के आदेश दिए हैं। प्यूमा रिएल्टर्स ने शिकायतकर्ताओं से लाखों रुपए लेकर भी उन्हें तय समय में प्लाट का पजेशन नहीं दिया था। पहले मामले में शिकायतकर्ता संस्कृति अपार्टमैंट्स, सैक्टर 43, गुडग़ांव के रुबल गोयल शिकायतकर्ता थे। वहीं दूसरे मामले में शिकायतकर्ता सैक्टर 43-बी के गौतम प्रभाकर थे। रुबल के केस में प्यूमा रिएल्टर्स को आदेश दिए गए हैं कि वह शिकायतकर्ता के 60,22, 471 रुपए 12 प्रतिशत ब्याज सहित चुकाने के आदेश दिए गए हैं। 

 

वहीं 2.50 लाख रुपए हर्जाने के रूप में चुकाने को कहा गया है। इसके अलावा अदालती खर्च के रूप में 35 हजार रुपए हर्जाने के रूप में देने को कहा गया है। वहीं, गौतम प्रभाकर की शिकायत में प्यूमा रिएल्टर्स को शिकायतकर्ता की 63,59,432 रुपए 9.15 प्रतिशत ब्याज दर सहित चुकाने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा 2.50 लाख रुपए हर्जाना राशि और 35 हजार रुपए अदालती खर्च के रूप में देने के आदेश कंज्यूमर कमीशन ने दिए हैं। 

 

यह है मामला
रुबल गोयल के केस में कंपनी के मोहाली सैक्टर 98 स्थित ‘इरीयो हैमलेट’ नामक प्रोजैक्ट में एक जतिन्द्र सिंह नामक व्यक्ति ने रिहायशी प्लाट भरा था। उन्हें 250 स्क्वेयर यार्ड का प्लाट निकला। इसका एग्रीमैंट जुलाई, 2011 में हुआ। प्रतिवादी पक्ष ने टाइम लिंक्ड पैमेंट प्लान से इसे डिवैल्पमैंट लिंक्ड पेमैंट प्लान में बदल दिया था। बाद में शिकायतकर्ता ने जतिन्द्र से यह प्लाट अपने नाम मार्च, 2012 में ट्रांसफर करवा लिया। डिवैल्पमैंट शुरू होने से पहले 28,16,018 रुपए शिकायतकर्ता से प्रतिवादी पक्ष ने ले लिए। वहीं, डिवैल्पमैंट शुरू होने के 3 महीने में 9,07,574 रुपए जमा करवाने थे। 

 

शिकायतकर्ता ने कहा कि कांट्रैक्ट के मुताबिक 24 महीनों में प्लाट का पजेशन मिल जाना था, जिसमें आगे 6 महीने का ग्रेस पीरियड भी था। शिकायत के मुताबिक वह कुल 60,22,471 रुपए जमा करवा चुके थे। तय समय में पजेशन ने मिलने पर संबंधित केस कंज्यूमर कमीशन में दायर किया गया। यहां अपने जवाब में प्यूमा रिएल्टर्स ने कहा कि शिकायतकर्ता ने कोई प्लाट बुक नहीं किया था और अपने व्यावसायिक फायदे के लिए प्लाट खरीदा था। वहीं कहा गया कि मामला सिविल कोर्ट का बनता है और कंज्यूमर कमीशन की ज्यूरीडिक्शन नहीं बनती। इसी प्रकार दूसरी कंज्यूमर शिकायत में भी लाखों रुपए लेकर तय समय में प्लाट का पजेशन नहीं दिया गया था। 
 

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