बैड फूड ने गरीबों को दी शूगर, गुड फूड खाने वाले अमीर हुए स्वस्थ

Sunday, Jun 18, 2017 - 11:14 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : चंडीगढ़ में 2.5 प्रतिशत शुगर पेशैंट्स बढ़े हैं। चंडीगढ़ के 13.6 प्रतिशत लोग डायबिटिज के शिकार हैं। जबकि वर्ष 2009 में किए गए अध्ययन में शहर के सिर्फ 11.1 प्रतिशत लोगों में ही शुगर की बीमारी मिली थी। यह भी खुलासा हुआ है कि चंडीगढ़ में रहने वाले गरीब तबके परिवार के 26.9 प्रतिशत लोग डायबिटिक हैं जबकि अमीर तबके के 15.4 प्रतिशत लोगों को शूगर है। चंडीगढ़ जैसे महंगे शहर में सस्ते दाम पर बिकने वाली कार्बोहाइड्रेट से परिपूर्ण आहार का सेवन करने वाले गरीबों को शुगर की बीमारी हो गई है। 

 

हालांकि अमीर तबके के लोगों ने गुड न्यूट्रिशन फूड का सेवन शुरू कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य संसाधान विभाग और इंडियन कौंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च ने देश के 15 राज्यों में एक स्टडी की है जो बताती है कि बेशक देश के 15 राज्यों में 7 प्रतिशत आबादी शूगर की गिरफ्त में है परंतु सबसे ज्यादा डायबिटिक शहर चंडीगढ़ है। 

 

मौजूदा स्टडी की मानें तो पंजाब के सिर्फ 10 प्रतिशत लोग ही डायबिटिक हैं। जबकि चंडीगढ़ में पंजाब के मुकाबले 3.6 प्रतिशत अधिक शूगर पेशैंट्स हैं। पी.जी.आई. के सहयोग से किए गए रिसर्च को हाल ही में दि लेंसट डायबिटीज एंड एंडोक्रायनोलॉजी में पब्लिश किया गया है। स्टडी में चंडीगढ़ के अलावा पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, मनीपुर, झारखंड, बिहार आदि के 60,000 लोगों में किया गया। रिपोर्ट कहती है कि स्टडी में चंडीगढ़ और पंजाब से 8000 लोग शामिल हुए थे। 


कार्बोहाइड्रेट, फैट्स युक्त आहार ने दी शूगर की बीमारी :
रिपोर्ट की माने तो 15 राज्यों में चंडीगढ़ में 13.6 प्रतिशत सबसे ज्यादा जबकि बिहार में 4.3 प्रतिशत के साथ सबसे कम डायबिटिक पेशैंट्स हैं। पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग के एच.ओ.डी. प्रो.अनिल भंसाली का कहना है कि चंडीगढ़ में शूगर पेशैंट्स की तादाद बढऩे की वजह आसपास के राज्यों से आए गरीब लोगों को आधुनिक शहर में आकर काम करना पड़ रहा है। 

 

चूंकि यह शहर महंगा है और खाने पीने की चीजें महंगे दाम पर खरीदना उनके लिए मुमकिन नहीं है इसलिए वह सस्ते दाम पर सड़क किनारे बने फूड ज्वाइंट्स पर बिकने वाली चीजें खा रहे हैं। इन ज्वाइंट्स पर कार्बोहाइड्रेट,ऑयल से युक्त जंक फूड बिक रहा होता है। इन्हें खाकर वह पेट भर लेते हैं लेकिन जंक फूड  इन्सुलिन का काम बिगाड़ देता है।  8 साल पहले चंडीगढ़ में रिसर्च में  पाया था कि अमीर लोग शुगर का ग्रास बन रहे थे। 

 

35 की उम्र में होने लगी बीमारी :
डॉ. भंसाली का कहना है कि पी.जी.आई. की ओ.पी.डी. में शूगर की बीमारी के साथ अब युवा भी आने लगे हैं। पहले 50 साल की उम्र वालों में यह बीमारी देखने को मिलती थी परंतु आज के युवाओं में बीमारी बढ़ रही है। देशभर में जो अध्ययन किया गया है उसमें यह भी सामने आया है कि 35 साल वाले डायबिटिक हैं। 

 

15 राज्यों में किए गए अध्ययन में 20 साल की उम्र से लेकर 80 साल के बुजुर्गों को शामिल किया गया था। डॉ.भंसाली ने कहा कि उम्र बढऩे के साथ शुगर होना तय है क्योंकि मांसपेशियां कम हो जाती है जबकि शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ जाती है। चर्बी बढऩे पर पैंक्रियाज में इन्सुलिन भी नष्ट होने लगता है। 

 

डायबिटिक का यह भी होता है असर :
शुगर अनियंत्रित रहने की वजह से पेशैंट की दृष्टि, किडनी, हार्ट, नसों पर बुरा असर होता है। शूगर पेशैंट्स के पैर की नसों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने की वजह से जम हो जाते हैं। शूगर पेशैंट्स में हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक अटैक भी सामने आता है। 

 

डॉ.भंसाली की मानें तो दिन के तीनों समय भोजन करने के 15 मिनट बाद 15 मिनट के लिए सैर करने पर शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। दूसरे अध्ययन में यह साबित हुआ है कि ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर के 15 मिनट बाद 15 मिनट सैर करने पर शुगर कंट्रोल हुई है।

 

डायबिटीज के लक्षण :
खून में ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढऩा, अधिक प्यास और भूख लगना, वजन गिरना, नजर कमजोर होना, थकावट रहना, ज्यादा यूरिन आना।

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