एक बार फिर मान्यता के लिए धनवंतरि मैडीकल कालेज ने किया PU की ओर रूख

punjabkesari.in Monday, Feb 26, 2018 - 12:21 PM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : कालेजों की मान्यता न हो गई, गुड्डे-गुडिय़ा का खेल हो गया। कालेज व कोर्सों को मान्यता देने के नाम पर जो खेल चल रहा है, उसके थोड़े समय बाद गंभीर नतीजे सामने आने वाले हैं। बरसों से विवादों में घिरे रहे धनवंतरि मैडीकल कालेज ने एक बार फिर मान्यता के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर रुख किया है। 

 

शनिवार को होने जा रही सिंडीकेट की बैठक में कालेज को दोबारा पी.यू. से ही मान्यता देने का प्रस्ताव लाया गया लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव को टाल दिया गया है लेकिन उम्मीद है कि अगली बैठकों में इस पर विचार किया जाएगा। यह कालेज फिलहाल गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी, होशियारपुर से मान्यता लेकर कोर्स चला रहा है। 

 

गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की दलील है कि कालेज मान्यता के लिए जिस तरह के पैंतरे चल रहा है और बार-बार पाला बदल रहा है, वह स्टूडैंट्स के भविष्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। इससे गलत परंपरा की शुरूआत हो रही है। आगे अन्य कालेज भी इस तरह के हथकंडे अपनाएंगे। 

 

धनवंतरि मैडीकल कालेज मूलभूत ढांचा न होने की वजह से काफी देर समय तक विवादों में रहा। पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ हर साल कोर्स की मान्यता को लेकर पंगा चलता रहा। यूनिवर्सिटी कालेज को स्टूडैंट्स के लिए लैब, बिल्डिंग, उपकरण और टीचर आदि रखने के लिए लगातार कहती रही लेकिन कालेज ने कभी भी यूनिवर्सिटी के आदेशों की परवाह नहीं की। 

 

आखिरकार पी.यू. से गई कमेटी ने कालेज की मान्यता रद्द करने का फैसला किया। वर्ष 2013 में धनवंतरि कालेज ने गुरु रविदास यूनिवर्सिटी होशियारपुर, जिसके अंडर पंजाब के अन्य आयुर्वेदिक कालेजों ने मान्यता ले रखी है, में एफीलिएशन के लिए आवेदन किया। वहां से कालेज को मान्यता मिल भी गई। 

 

इस वर्ष या इसके बाद के वर्षों में कालेज में दाखिल स्टूडैंट्स को इसी यूनिवर्सिटी से डिग्री मिलेगी लेकिन अब धनवंतरि आयुर्वेदिक कालेज ने पंजाब यूनिवर्सिटी को दोबारा पी.यू. से मान्यता देने पर विचार करने का प्रस्ताव दिया है। 

 

धनवंतरि मैनेजमैंट ने नया कालेज शुरू करने को मान्यता मांगी है। फिलहाल यह तो तय है कि पी.यू. से मान्यता कालेज को मिल भी गई तो जो स्टूडैंट्स फिलहाल बी.ए.एम.एस. की डिग्री कर रहे हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से कई दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। कालेज को इसकी कोई परवाह नहीं है।
 


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