फिल्मी दुनिया छोड़, वैदिक मंत्रों पर कर रहे वैज्ञानिक शोध, उपचार के नए विकल्पों की खोज में जुटे देवऋषि

punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 12:32 PM (IST)

क्या मंत्रों से इलाज संभव है?

चंडीगढ़। यह सवाल सुनने में नया ज़रूर लगे, लेकिन भारत की प्राचीन परंपराओं में इसका उल्लेख बार-बार मिलता है। अब इसी दिशा में एक नया और संस्थागत प्रयास शुरू हुआ है — जिसका नेतृत्व कर रहे हैं एक पूर्व फिल्म संगीतकार और अब दार्शनिक बन चुके देवऋषि

उन्होंने हाल ही में नाद योग रिसर्च काउंसिल (NYRC) की स्थापना की है, जो वैदिक मंत्रों, स्वर योग और ध्वनि विज्ञान के ज़रिए चिकित्सकीय अनुसंधान की दिशा में कार्य करेगी।

विज्ञान से जुड़े सवालों की खोज मंत्रों में?

NYRC का दावा है कि यह संस्था ध्वनि, मंत्र, और चेतना विज्ञान पर वैज्ञानिक पद्धति से शोध करने वाली विश्व की पहली पहल है। परिषद का मानना है कि मंत्र सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं हैं — वे ध्वनि की एक विशिष्ट संरचना हैं, जिनका शरीर और मस्तिष्क पर वास्तविक प्रभाव हो सकता है।

देवऋषि कहते हैं:

“हम चाहते हैं कि मंत्रों को एक मेडिकल-ग्रेड साउंड सिस्टम के रूप में समझा जाए — जहाँ उनका प्रभाव मापा जा सके, दोहराया जा सके, और चिकित्सा में इस्तेमाल किया जा सके।”

किन विषयों पर होगा शोध?

NYRC निम्नलिखित पहलुओं पर काम कर रही है:

●     विभिन्न मंत्रों की ध्वनि आवृत्तियों (frequencies) का विश्लेषण

●     यह परीक्षण कि कौन-सा मंत्र, किस स्वर-लय में, किस शारीरिक या मानसिक समस्या पर प्रभावी होता है

●     मंत्रों के लिए “standard tuning protocols” विकसित करना

●     स्वर योग (Swara Yoga) को वैज्ञानिक रूप से समझना — जहाँ श्वास, नाड़ी और चक्रों से ध्वनि का संबंध मापा जाएगा

●     शोध परिणामों को आयुष मंत्रालय, WHO, और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं के साथ साझा करना

अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव की दिशा में

NYRC केवल भारत तक सीमित नहीं रहना चाहता। संस्था ने Oxford, MIT, और Kyoto University जैसे संस्थानों से संवाद शुरू किया है।

इसके साथ ही:

●     Sonic Philosophy Global Forum की स्थापना की जा रही है

●     Nada Darshan Manifesto और Sound Consciousness Research Series जैसे दस्तावेज़ तैयार किए जा रहे हैं

●     जल, ध्वनि, ऊर्जा और नाद विज्ञान पर शोध-पत्र प्रकाशित होंगे

कौन हैं देवऋषि?

देवऋषि का पूर्व नाम ऋषिकेश पांडेय है। वे पहले फिल्मों और सामाजिक अभियानों के लिए संगीत बनाते थे। स्वच्छ भारत के लिए इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में उनके गीत प्रसारित हुए।

धीरे-धीरे उन्होंने फिल्मी दुनिया से हटकर अध्यात्म की ओर रुख किया और आज वे खुद को एक दार्शनिक और ध्वनि शोधकर्ता के रूप में स्थापित कर रहे हैं। माता के आशीर्वाद से उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘देवऋषि’ रखा।

साहित्य और संस्कृति में योगदान

●     रामराजा नामक ऐतिहासिक पुस्तक, जिसे एक वरिष्ठ IAS अधिकारी के साथ मिलकर लिखा। इस पर फिल्म निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

●     विक्रमादित्य श्रृंखला के तहत शाकरीविक्रमादित्य और सम्राट विक्रमादित्य जैसी ऐतिहासिक कृतियाँ शीघ्र प्रकाशित होंगी। इनकी भूमिका मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखी है।

आगे की दिशा

देवऋषि का दृष्टिकोण स्पष्ट है:

“नाद केवल दर्शन नहीं, विज्ञान है। अब समय है कि भारत अपने इस ज्ञान को वैज्ञानिक भाषा में दुनिया के सामने प्रस्तुत करे।”

उनका प्रयास केवल चिकित्सा का नया विकल्प खोजना नहीं है, बल्कि यह भी दिखाना है कि ध्वनि के ज़रिए शरीर और चेतना को समझना संभव है — और भविष्य की चिकित्सा प्रणाली शायद इसी दिशा से निकले।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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