डेंगू का पॉजीटिविटी रेट 25%,  पीडियाट्रिक सैंटर में हुआ 100 का इलाज

punjabkesari.in Thursday, Oct 28, 2021 - 12:54 PM (IST)

चंडीगढ़, (पाल): पी.जी.आई. एडवांस पीडियाट्रिक सैंटर में कुछ दिनों से रोजाना 10 से 12 मरीज डेंगू के रैफर होकर आ रहे हैं। यह सभी गंभीर मरीज हैं, जोकि रैफर होकर पी.जी.आई. पहुंच रहे हैं। डायरैक्टर पी.जी.आई. डा. जगत राम के मुताबिक पिछले एक महीने में एडवांस पीडिएट्रिक सैंटर में 100 से ज्यादा डेंगू मरीजों का इलाज किया जा चुका है। 
पी.जी.आई. एक बड़ा संस्थान हैं जहां रैफर होकर मरीज तो पहुंचते ही हैं। कई मामले बिना रैफर के भी आ रहे हैं। हमारे पास जो मरीज आ रहे हैं वह पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और चंडीगढ़ से भी कुछ मरीज हैं। इन मरीजों में मोर्टेलिटी रेट भी कोविड से ज्यादा है, क्योंकि यह मरीज लास्ट स्टेज में आते हैं। डायरैक्टर ने बताया कि पिछले कुछ सालों के मुकाबले में देखें तो इस बार डेंगू मरीजों की संख्या ज्यादा है। वहीं अडल्ट (वयस्क ) मरीजों की बात करें तो वह भी पी.जी.आई. रैफर होकर आ रहे हैं। 

 


इस महीने की बात करें तो अभी नेहरू हॉस्पिटल में 40 से 50 मरीज देखें जा चुके हैं। ऐसे में लोगों को ज्यादा ध्यान से रहने की जरूरत है, जहां तक केस कम होने का सवाल है तो जैसे ही मौसम में ठंडक और बढ़ेगी डेंगू केस पाने आप कम होने लगेंगे। 


अक्तूबर में अभी तक हुए 1650 टैस्ट 
डा. जगत राम ने बताया कि अक्तूबर में अभी तक हम 1650 सैम्पल टैस्ट कर चुके हैं जिसमें से 25 प्रतिशत कन्फर्म डेंगू केस रहे, जबकि अगस्त की बात करें उस महीने से इसका प्रतिशत 4 था। वहीं सितम्बर में 15 प्रतिशत डेंगू वायरस कन्फर्म था। डा. जगत राम ने बताया कि पहले तीन दिनों तक एन.एस.1 टैस्ट किया जाता है, जो डेंगू वायरस का नॉन स्ट्रक्चरल प्रोटीन डिटेक्ट करता है 20 से 25 प्रतिशत टैस्ट हम एन.एस.1 कर रहे हैं। चार से 5 दिनों के इंफैक्शन के बाद आई.जी.एम. टैस्ट के साथ एक एन.एस.1 किया जाता है, जो ब्लड के सैंपल में डेंगू एंटीबॉडी के लिए टैस्ट करता है, पॉजीटिव टैस्ट का मतलब है कि व्यक्ति हाल के हफ्तों में डेंगू वायरस से संक्रमित था। पांचवें दिन या उससे अधिक पर आई.जी.एम. टैस्ट किया जाता है। जल्दी पता लगने से सही इलाज करने में मदद मिलती है इसलिए हम लोगों को कहते हैं वह डेंगू के किसी भी लक्षण को अनदेखा न करें और जल्दी टैस्ट कराएं और इलाज कराएं।  


बुखार को चैक करते रहिए, पैरासिटामोल के अलावा कोई दवाई मत लीजिए
हमारे पास अभी करीब 60 मरीज तो पीडियाट्रिक्स में एडमिट हैं। रोजाना मरीज आ रहे हैं 24 से 48 घंटे में कई मरीज डिस्चार्ज भी हो जाते हैं। कई 4-5 दिन तक एडमिट रहते हैं। आसपास के एरिया और राज्यों से ज्यादातर मरीज रैफर होकर हमारे पास आ रहे हैं। जैसे ही मरीज का प्लेटलेट्स काऊंट कम होता है, छोटे हॉस्पिटल उन्हें मैनेज नहीं कर पाते तो ऐसे में उन्हें हमारे पास रैफर कर देते हैं, ताकि मरीज क्रिटिकल न हो। कई मरीजों को  ट्रांस्फ्यूजन की जरूरत भी होती है। पहले चार से सात दिनों में बुखार आता है इसके बाद बुखार कम होना और प्लेट्सलैट्स कम होने शुरू होते हैं। हम एडवाइज करते हैं कि बुखार को लगातार चैक करते रहिए। पैरासिटामोल के अलावा कोई दवाई मत लीजिए। साथ ही बॉडी को हाइड्रेट रखिए। लिक्विड लेते रहे, लेकिन अगर पेट में बहुत दर्द, मरीज सुस्त हो रहा है यह अलार्मिंग साइन है, ऐसे में डॉक्टर के पास जरूर जाएं। 
-डा. विशाल गुगलानी, पीडियाट्रिशियन, जी.एम.सी.एच.।  


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News Editor

Ajesh K Dharwal

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