डाक्टर्स के लिए चुनौती बनी 10 साल की बच्ची की डिलीवरी

Saturday, Aug 12, 2017 - 08:29 AM (IST)

चंडीगढ़ (अर्चना): गर्भवती बच्ची की कोख से जन्म लेने वाले बच्चे का डी.एन.ए. सैंपल लेने की तैयारी कर ली गई है। सूत्रों की मानें तो बच्ची की डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में गठित मैडीकल बोर्ड के डाक्टर्स ने बच्चे के जन्म के साथ ही उसका ब्लड सैंपल लेकर सैंट्रल फॉरैंसिक साइंस लैबोरेट्री में भेजने का फैसला कर लिया है। कमेटी के अध्यक्ष प्रो. हरीश दासारी के नेतृत्व में बच्चे का ब्लड सैंपल लिया जाएगा। सूत्र कहते हैं कि हॉस्पिटल ने पैटरनटी टैस्ट की वजह से ही डॉ. दासारी को कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, क्योंकि डी.एन.ए. सैंपलिंग का बच्ची के केस में विशेष महत्व है। 

 

आमतौर पर रेप विक्टिम के केसेज में रेपिस्ट या तो पकड़ में नहीं आता या उसका पता नहीं चलता परंतु बच्ची के मामले में रेपिस्ट जेल में है। रेपिस्ट को सजा भी सिर्फ तब हो सकती है जब बच्चे का डी.एन.ए. सैंपल रेपिस्ट के डी.एन.ए. के साथ मैच करेगा। केस की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हॉस्पिटल ने बच्ची के शिशु के ब्लड सैंपल लेने का फैसला कर लिया है। हालांकि डाक्टर्स के लिए डिलीवरी एक चुनौती बन चुकी है, क्योंकि हॉस्पिटल के डाक्टर्स के लिए यह पहला ऐसा स्पैशल केस है जहां छोटी सी बच्ची स्पैशल मदर बनने जा रही है। 


 

कुछ ऐसा शब्द न निकल जाए जिससे बच्ची के दिमाग पर हो असर  
सूत्र कहते हैं कि बोर्ड के डाक्टर्स भी बच्ची को मिलते हुए इस टैंशन में रहते हैं कि उनके मुंह से कुछ ऐसी बात न निकल जाए जिसकी वजह से बच्ची के दिमाग पर असर हो। पेरैंट्स बच्ची को कह चुके हैं कि उसके पेट में पत्थरी है और ऑपरेशन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलेगी ऐसे में डाक्टर्स भी इसका पूरा ध्यान रखते हैं कि सिर्फ चैकअप करें और न तो बच्ची और न ही पेरैंट्स से बात करें। 

 

डाक्टर्स की मानें तो वह पहली दफा स्पैशल मदर को ट्रीटमैंट कर रहे हैं इसलिए उन्हें बहुत ही चौकन्ना रहना पड़ता है। जब बच्ची को अल्ट्रासाऊंड के लिए ले जाना होता है तो एक दफा तो बच्ची के चेहरे पर नकाब लगाने तक का भी फैसला लिया गया था, परंतु तब बोर्ड के अन्य सदस्यों ने कहा कि ऐसा करने पर बच्ची ज्यादा नजर में आएगी और ऐसा होने पर बच्ची को वार्ड में ही हरसंभव जांच मुहैया कराने का फैसला लिया गया है। 


 

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