‘ब्रेन में कैमिकल की गड़बड़ी से पनपते हैं अपराध’

punjabkesari.in Sunday, Aug 20, 2017 - 11:15 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : मामा द्वारा 10 साल की भांजी से दुष्कर्म करना। शराब के नशे में अपने ही मासूम बच्चे के साथ दुराचार कर मारने वाला पिता। सौतेले पिता का 15 साल की बच्ची का शोषण। ऐसे अपराध करने वाले अपराधी मानसिक तौर पर बीमार होते हैं। इनके दिमाग में कैमिकल का संतुलन बिगड़ चुका होता है और ब्रेन सर्किट खराब हो चुका होता है। दिमाग में सेरेटोनिन, डोपामाइन और नोरएफीनफ्रिन की गड़बड़ी अपराध के लिए उकसाती है। 

 

यह एक ऐसी मन की बीमारी होती है, जो किसी न किसी हादसे की वजह से पनपती है। जींस की संरचना की वजह से भी ऐसा हो सकता है। यह बात अनुएल नैशनल कांफ्रैंस ऑफ इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकैट्री द्वारा आयोजित एक चिकित्सीय संगोष्ठी के दौरान एसोसिएशन के सदस्य डॉ. राजेश नागपाल ने कही। 

 

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि ऐसे अपराध आज बढ़े हैं बल्कि पहले भी ऐसी घटनाएं होती थी परंतु वे उजागर नहीं हो पाती थी। उनका कहना है कि खून के रिश्तों को तार-तार करने वाले लोग खुद मन की बीमारी से ग्रस्त होते हैं और उन्हें दूसरों के साथ बुरा करने में आनंद आता है इसलिए वह ऐसा करते हैं। ऐसे लोगों की काऊंसलिंग समय पर हो जानी चाहिए अन्यथा वे अपराधों को अंजाम देते रहते हैं। 

 

चिकित्सीय संगोष्ठी के उद्घाटन पर चंडीगढ़ भाजपा के अध्यक्ष संजय टंडन ने कहा कि अपराधों को रोकने में डाक्टर्स सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे लोगों का एक डाटा बैंक बनाना चाहिए और वह डाटा पुलिस और प्रशासन को सौंप देना चाहिए ताकि अपराधों को रोका जा सके। टंडन ने कहा कि मैंटल हैल्थ को बैस्ट रखने में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्कूलों में भी साइकैट्री काऊंसलर्स होने चाहिए ताकि बच्चे अपनी समस्याएं उनसे डिस्कस कर सकें। 


 


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