भ्रष्टाचार के मामलों पर लगातार कन्नी काट रहे वी.सी. प्रो. ग्रोवर

punjabkesari.in Monday, Feb 19, 2018 - 10:08 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर अपने कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों से लगातार कन्नी काट रहे हैं। यूनिवर्सिटी में हुए करोड़ों रुपए के घपलों को जरा भी संजीदगी से नहीं लिया जा रहा है। 

 

17 फरवरी को हुई सीनेट मीटिंग में भ्रष्टाचार के उन मामलों पर चर्चा होनी थी जिनकी रिपोर्ट सी.वी.ओ. ने बहुत समय पहले सौंप रखी है लेकिन इस पर कोई भी चर्चा नहीं की गई। इसको लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी के उच्चाधिकारियों की भूमिका संशय के घेरे में है, क्योंकि सी.वी.ओ. की रिपोर्ट को लगातार दबाने की कोशिश हो रही है। 

 

यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वी.सी. के करीबी और पूर्व डीन स्टूडैंट वैल्फेयर प्रो. नवदीप गोयल पर मामले में सीधे इल्जाम लग रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि वी.सी. उन्हें बचाने में लगे हुए हैं, क्योंकि उन्हें प्रो. नवदीप गोयल बचा रहे हैं। वी.सी. प्रो. ग्रोवर ने बीते कुछ समय में कई मसलों पर सीनेट की स्पैशल मीटिंगें तक बुला ली लेकिन भ्रष्टाचार का मामला उन्हें बड़ा लग ही नहीं रहा। इन मसलों पर सीनेट की स्पैशल मीटिंग बुलाने से वी.सी. हमेशा गुरेज करते रहे। 

 

खुद वी.सी. यूनिवर्सिटी में करोड़ों रुपए से हुई कंस्ट्रक्शन की क्वालिटी पर सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं लेकिन आज तक इस मामले को सामने नहीं लाया गया। कई मर्तबा तो वी.सी. के इशारे पर रजिस्ट्रार ने सी.वी.ओ. की रिपोर्ट को एजैंडा से ही गायब कर दिया। कुछ मर्तबा सीनेट मीटिंग के दौरान समय कम होने का बहाना बनाकर अगली बैठक के लिए टाल दिया गया। एजैंडे में भी इस आइटम को ऐसी जगह रखा जाता है, ताकि चर्चा ही न हो सके या उस समय मीटिंग समाप्त हो जाए। 

 

मैंने तो रिपोर्ट मई 2017 में सौंप दी थी : प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा
सी.वी.ओ. रही प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा जो फिलहाल डी.यू.आई. हैं का कहना है कि उन्होंने यह रिपोर्टें मई 2017 में पी.यू. अथॉरिटी को सौंप दी थी। करीब 33 मामलों की जांच उनके पास आई थी जिसमें कई भ्रष्टाचार के मामले थे। इसमें 22 एक्टिव मामले थे जबकि बाकी छोटे मोटे मामले थे। 

 

घोटाले की परत-दर-परत खुलती गई और नए तथ्य सामने आते रहे :
जांच के बाद भी करोड़ों रुपए के इस घोटाले की परत दर परत खुलती गई और नए तथ्य सामने आते रहे। सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आई कि प्रो. नवदीप गोयल के भाई व रिश्तेदारों की कंपनियों को हॉस्टलों में इलैक्ट्रोनिक सामान की खरीद-फरोख्त के ठेके दिए गए। वरिष्ठ सीनेट सदस्य अशोक गोयल ने तो सीनेट में इस मामले में अपनी ओर से हलफनामा देने तक का बयान दे दिया था। 

 

उन्होंने कहा कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं कि प्रो. नवदीप गोयल ने अपने भाई व अन्य रिश्तेदारों की कंपनी की मार्फत हॉस्टलों में खराब सामान खरीदा जबकि अव्वल दर्जे के ब्रांड मार्कीट में मौजूद थे। हॉस्टलों के लिए वाटर कूलर, एयर कंडीशनर इत्यादि पंचकूला की फर्म से खरीदे गए जिसके मालिक प्रो. नवदीप गोयल के भाई हैं। 

 

मामला बढ़ता देख मामले की जांच चीफ विजीलैंस अफसर प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा को दे दी गई जिन्होंने अपनी जांच में सभी आरोपों को तसदीक भी कर दिया और सिस्टम में जबरदस्त बदलाव की जरूरत बताई। इस रिपोर्ट को बने भी एक साल के करीब होने को है लेकिन मामले में कार्रवाई तो दूर चर्चा तक नहीं की जा रही। 

 

चांसलर ऑफिस को हर मामले में पी.यू. प्रशासन कर रहा गुमराह :
देश के उपराष्ट्रपति और चांसलर ऑफिस को हर मामले में पी.यू. प्रशासन की ओर से गुमराह किया जा रहा है। चांसलर ऑफिस के पास भ्रष्टाचार की बहुत सी शिकायतें पहुंची हुई हैं जिसमें हॉस्टलों के सामान की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार, हॉस्टलों की इनकम छुपा कर और बजट में घाटा दिखाकर पी.यू. द्वारा केंद्र सरकार से लगातार पैसे बटोरने की कवायद, ई-रिक्शा संचालन और इसका ठेका देने में घोटाला, सैक्सुअल हरासमैंट जैसे मामले लगातार सुर्खियों में आते रहे हैं। 

 

हॉस्टलों में सामान खरीद में घोटाले की तो केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय जांच भी करवा चुका है जिसकी फाइनल रिपोर्ट सामने लाना बाकी है। पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी संपूर्ण रिकार्ड के साथ एम.एच.आर.डी. और यू.जी.सी. ने तलब किया था। पी.यू. प्रशासन ने जवाब तो दे दिया था लेकिन इस मामले में यूनिवर्सिटी को अभी तक क्लीनचिट नहीं दी गई है।


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