डेल्टा स्ट्रेन की वजह से चंडीगढ़ में बढ़े थे कोरोना के केस

Monday, Jun 21, 2021 - 11:09 PM (IST)

चंडीगढ़, (पाल) : कोविड की दूसरी लहर ने बहुत तेजी से और ज्यादा लोगों को इन्फैक्टेड किया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि वायरस इतना ज्यादा खतरनाक हो जाएगा। पी.जी.आई. की ओर से लगातार वायरस के म्यूटेशन को लेकर जांच की जा रही है। शहर में कोविड की दूसरी लहर इसलिए तेजी से फैली क्योंकि कोविड वायरस में डेल्टा वैरिएंंट (बी.1.617.2 ) और अल्फा वैरिएंट (बी.1.1.7.) था, जो बहुत तेजी से फैला। यह वैरिएंट काफी संक्रामक है। पी.जी.आई. ने वायरस की जीनोम सिक्वैंसिंग (एक तरह की जांच) के लिए सैंपल एन.सी.डी.सी. न्यू दिल्ली भेजे थे, जिसमें पता चला कि 61 प्रतिशत सैंपलों में डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2)  और 30 प्रतिशत में अल्फा वैरिएंट (बी.1.1.7. ) है। 


92 प्रतिशत सैंपल चंडीगढ़ से थे
सबसे खतरनाक बात यह है कि सभी सैंपलों में से 92 प्रतिशत सैंपल चंडीगढ़ से थे। पी.जी.आई. डायरैक्टर डॉ. जगतराम ने बताया कि डेल्टा स्ट्रेन की वजह से शहर में कोविड केस बढ़े थे। डायरैक्टर पी.जी.आई. ने बताया कि वायरोलॉजी डिपार्टमैंट पिछले साल मार्च से अभी तक कोविड के 2.5 लाख आर.टी.पी.सी.आर. सैंपल की टैस्टिंग कर चुका है। कोविड वायरस की दूसरी लहर में किसी भी तरह का बदलाव तो नहीं आया, इसे जानने के लिए 5 मई से लेकर 24 मई तक के 25 सैंपल्स को जांच के लिए भेजा गया था, जिसमें वायरस के इस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। 

डीन एकेडमिक डॉ. जी.डी. पुरी का कहना है कि जिन सैंपलों को जांच के लिए भेजा गया था। वह नेहरू एक्सटैंशन में भर्ती गंभीर कोविड मरीजों के थे, जिनमें डेल्टा स्ट्रेन पाया गया है। वहीं कोविड से मरने वाले 80 प्रतिशत मरीजों में अल्फा स्ट्रेन था। राहत की बात यह है कि भेजे गए सैम्पल्स में डेल्टा प्लस वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है।

लापरवाही न बरते
पीजीआई डायरेक्टर ने कहा कि अभी राहत की बात यह है कि कोविड केस अभी शहर में कम होने लगे हैं लेकिन अभी किसी भी तरह की लापरवाही इंफेक्शन को बढ़ाने का काम कर सकती है ऐसे में वैक्सीनेशन करवाकर खुद को सेफ करना बेहद जरुरी हो गया है। साथ ही डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट के खतरे को कम किया जा सके।


बेहद संक्रामक है डेल्टा वेरिएंट
कोविड के डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन दर्ज किए गए हैं, जिसकी वजह से यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हो जाता है। डॉक्टर्स  के मुताबिक यह स्ट्रेन ज्यादा हमलावर है और इसकी वजह से एक निश्चित समय में अल्फा वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा लोग बीमार हुए हैं। डेल्टा वेरिएंट कोरोना के अल्फा वेरिएंट के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।  अल्फा वेरिएंट कोरोना वायरस के मूल स्ट्रेन के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक था। यह यूरोप में मार्च महीने से है।

ashwani

Advertising