सुखना कैचमैंट एरिया में निर्माण को माना जाएगा अवैध : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Nov 26, 2019 - 11:15 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमेश): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हरियाणा या पंजाब के मास्टर प्लान में कुछ भी दर्शाया गया हो लेकिन सुखना कैचमैंट एरिया में निर्माण कार्य अवैध माना जाएगा। यह टिप्पणी तब की जब पंजाब के अधिवक्ता ने कहा कि पंजाब के मास्टर प्लान में कैचमैंट एरिया का जिक्र नहीं है।

 

कोर्ट मित्र ने बताया कि कैचमैंट एरिया में रोक के बावजूद निर्माण कार्य होते आ रहे हैं जिसका जिक्र पहले भी तस्वीरों सहित करते आ रहे हैं। कैचमैंट एरिया सुखना लेक की बाऊंड्री वॉल से 2.7 किलोमीटर का है जिसमें हरियाणा और पंजाब का कुछ हिस्सा भी आता है इसलिए दोनों राज्यों को पार्टी बनाया गया है। हालांकि पंजाब ने लिखित

 

जवाब दाखिल नहीं किया लेकिन अधिवक्ता ने कोर्ट के पूछे जाने पर बताया कि नयागांव के मास्टर प्लान में सुखना कैचमैंट है फिर भी निर्माण कार्यों पर रोक लगा रखी है। हरियाणा सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया। जस्टिस राजीव शर्मा पर आधारित खंडपीठ ने सुनवाई 2 दिसम्बर तक स्थगित कर दी।

 

1988 में किया था कैचमैंट एरिया घोषित
यू.टी. की ओर से अधिवक्ता पंकज जैन ने कोर्ट को बताया कि 1988 में सुखना लेक के आसपास 2.7 किलोमीटर एरिया को वाइल्ड लाइफ और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित करते हुए किसी भी तरह के निर्माण कार्य और शोर-शराबे पर प्रतिबंध लगा दिया था। 8 जनवरी, 2017 को केंद्र ने भी नोटिफिकेशन जारी कर सुखना कैचमैंट एरिया को ईको सैंसटिव जोन घोषित किया था। 

 

जज बोले, केस के कागजातों की नंबरिंग करें 
जस्टिस राजीव शर्मा ने यू.टी. के अधिवक्ता को केंद्र की नोटीफिकेशन देखने की इच्छा जाहिर की। केस फाइल में नोटीफिकेशन न मिली तो सुझाव दिया कि वकील केस फाइल में नंबरिंग जरूर करें, इससे समय बचेगा। नोटीफिकेशन न किसी प्रतिवादी को फाइल में दिखी न ही यू.टी. के अधिवक्ता बता सके कि नोटीफिकेशन फाइल में कहां है। हारकर यू.टी. के अधिवक्ता ने नोटीफिकेशन की प्रति दिखाई। कोर्ट का सवाल था कि 2017 में पुन: नोटीफिकेशन की जरूरत क्यों पड़ी?


 


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pooja verma

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