वाटर बिल जमा न कराने वालों के काटे जाएंगे कनैक्शन

punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2017 - 09:30 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय): नगर निगम ने फैसला लिया है कि उन सभी वाटर बिल डिफाल्टरों के कनैक्शन काटे जाएंगे, जिन्होंने अभी तक बिल जमा नहीं करवाया है। निगम ने निर्देश दिए हैं कि सभी वाटर बिल डिफाल्टर अपने आसपास के संपर्क केंद्र में बकाया राशि जमा करवा दें, नहीं तो कनैक्शन काट दिए जाएंगे। डिफाल्टरों को अलग से नोटिस जारी नहीं किया जाएगा, क्योंकि वाटर बिल खुद में ही नोटिस है। ऐसे डिफाल्टरों से निगम अंतिम अपील कर रहा है। अगर इसके बाद भी बिल जमा नहीं करवाया जाता है तो पानी के कनैक्शन काट दिए जाएंगे। निगम ने इन डिफाल्टरों को बिल की राशि किस्तों में जमा करवाने की भी सुविधा दी है। मेयर ने बताया कि काफी डिफाल्टरों से बिलों की राशि ले ली गई है लेकिन अभी भी कई हैं जिन्होंने पैसे जमा नहीं करवाए हैं। निगम के पब्लिक हैल्थ विंग के उपलब्ध रिकार्डज के अनुसार डिफाल्टरों से करोड़ों की राशि का भुगतान होना है। नोटिस देने के बाद निगम ने इस संबंधी कुछ रिकवरी भी की है। 


 

सूची में अधिकतर डिफाल्टर पंजाब सरकार कार्यालय 
गत वर्ष निगम ने शहर में करीब 70 पानी के कनैक्शन काटे भी थे। निगम के रिकार्डज के अनुसार प्रशासन के संपदा विभाग, पंजाब एम.एल.ए. हॉस्टल आदि संस्थान भी निगम के पानी के बिलों के डिफाल्टरों की सूची में रहे हैं। पंजाब एम.एल.ए. हॉस्टल ने तो कनैक्शन कटने के बाद बिल जमा करवाया था। इसके अलावा निगम के डिफाल्टरों की लिस्ट में पंजाब पी.डब्ल्यू.डी. सैक्टर-4, सी.आई.एस.एफ. सैक्टर-1, मिनी सैक्रेटेरिएट पंजाब, एच.एस.एम.आई.टी.सी. सैक्टर-17बी, डिपार्टमैंट ऑफ पंचायत पंजाब, एस.डी.ई. सब डिविजन-3 सैक्टर-17, पंजाब चीफ कंजर्वेटर-17डी, डिपार्टमैंट ऑफ इंडस्ट्रीज हरियाणा, ए.जी. एच.पी. यू.टी.- एस.सी.ओ.-8-9 सैक्टर आदि भी शामिल रहे हैं। निगम के पंजाब से प्रतिनियुक्त पर आए अधिकारी ने बताया कि राज्य को निगम अनेक पत्र लिख चुका है, पर सरकार के पास पानी के बिल जमा करवाने के पैसे ही नहीं हैं। निगम की सूची में अधिकतर डिफाल्टर पंजाब सरकार कार्यालय हैं।

 

भेजे जा रहे डिफाल्टरों को नोटिस 
निगम के संबंधित अधिकारियों का कहना है कि इन डिफाल्टरों को समय-समय पर नोटिस भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ ने तो आंशिक अथवा पूरी राशि जमा भी करवाई है, पर अब भी करोड़ों की राशि इन डिफाल्टरों से निगम को वसूलनी है। इसके अलावा निगम पानी का शुल्क बढ़ाने पर भी समय-समय पर विचार करता रहा है। पिछली सदन की बैठक में भी प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन पार्षदों के विरोध के चलते उसे अप्रूवल नहीं दी जा सकी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने निगम के रिकार्डज दिखाते हुए बताया कि निगम जलापूॢत व्यवस्था पर प्रति वर्ष लगभग 85 से 90 करोड़ रुपए खर्च करता है, जबकि पानी की आपूर्ति से मिल रहा है राजस्व इससे काफी कम है। 

 

ड्राफ्ट निगम सदन ने नहीं किया पारित
पानी की आपूर्ति का बढ़ता खर्च पूरा करने के लिए निगम अधिकारियों ने पानी की दरें बढ़ाने का जो ड्राफ्ट तैयार किया था उसे निगम सदन ने पारित नहीं किया। अत: अब निगम ने बिल न अदा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी है। निगम के रिकार्ड के अनुसार पानी के डिफाल्टरों में पुनर्वास कालोनियों में कालोनियों के डिफाल्टरों से निगम ने 11.92 करोड़ रुपए लेने हैं। संबंधित अधिकारी ने बताया कि गर्मियों का मौसम आने से पहले ही निगम का जनस्वास्थ्य विभाग डिफाल्टरों के कनैक्शन काटने के प्रयास कर रहा है व इसके लिए 4 टीमें बनाई हैं। रिकार्ड के अनुसार डिफाल्टरों में 3.80 करोड़ सरकारी कार्यालय, 4.94 करोड़ के आवासीय, व्यवसायिक एवं संस्थाओं के कार्यालय शामिल हैं। कालोनी और गांवों के डिफाल्टरों की संख्या अलग है।

 

2 करोड़ का बिल का बकाया प्रशासन ने नहीं चुकाया
निगम के डिफाल्टरों की सूची में चंडीगढ़ प्रशासन का बागवानी विभाग भी शामिल है। हालांकि शहर के सारे पार्क निगम के हवाले हैं पर जब यह प्रशासन के पास थे तो तब का लगभग 2 करोड़ रुपए पानी के बिल का बकाया प्रशासन ने नहीं चुकाया है। सैक्टर-12 मिलिट्री अस्पताल के 40 लाख बकाया हैं, मिलिट्री अस्पताल शिफ्ट हुए 15 साल से भी ज्यादा हो गए हैं पर राशि जमा नहीं हुई। निगम के संबंधित अधिकारी का कहना था कि गांवों व कालोनियों के बाद निगम सरकारी और आवासीय डिफाल्टरों के कनैक्शन काटेगा।


 


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