टंडन व उप्पल हाऊसिंग सोसायटी के मामले पर कांग्रेस का वाकआऊट

punjabkesari.in Saturday, Jul 30, 2016 - 01:21 PM (IST)

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम सदन बैठक में कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन द्वारा लाल डोरे के बाहर किए अवैध निर्माण के मामले को मेयर अरुण सूद द्वारा बैठक में चर्चा के लिए देरी करने व सदन की पिछली बैठक में मनीमाजरा के उप्पल हाऊसिंग सोसायटी के संबंध में हुई चर्चा के मिनट्स गलत रिकार्ड करने तथा भाजपा पार्षद सतीश कैंथ को बर्खास्त करने की मांग को लेकर हंगामा करते हुए बैठक से वाकआऊट कर दिया। कांग्रेसी पार्षदों ने मिनट्स में बदलाव करने की मांग भी की, लेकिन मेयर ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके चलते वह बैठक से बाहर चले गए। बैठक में कांग्रेसी पार्षदों के बगैर ही अनेक प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। वॉकआऊट करते हुए कांग्रेसी पार्षदों व मेयर के बीच तीखी बहस हुई। 

 

मैकेनाइज्ड स्वीपिंग शुरू करने को मिली अप्रूवल :

निगम ने शहर में मैकेनाइज्ड स्वीपिंग शुरू करने को अप्रूवल दे दी है। गौरतलब है कि निगम की एक टीम ने मोहाली नगर निगम का दौरा किया था, क्योंकि मोहाली निगम की टीम ने वहां मैकेनाइज्ड स्वीपिंग को अपनाया है, इसलिए इस सिस्टम को चंडीगढ़ निगम भी अपनाने जा रहा है। इसमें ऑनलाईन ट्रैकिंग ऑफ स्वीपर्स, जी.आई.एस. के जरिए क्रिएशन ऑफ बिट्स, द सिस्टम ऑफ मैकेनाइज्ड व मैनुअल स्वीपिंग शामिल है। इस सिस्टम से यह फायदा होगा कि स्वीपर्स ड्यूटी से नदारद नहीं रह पाएंगे। इसमें नगर निगम कार्यालय में सैंटर बनाया जाएगा। इस दौरान सुपरवाइजर द्वारा गंदगी वाली एरिया की सफाई कर्मचारी के साथ फोटो की जाएगी, जब वे ड्यूटी पर आएगा। इससे सैंटर पर इस सफाई कर्मचारी की पहचान दी जाएगी। जब पूरे एरिया की सफाई हो जाएगी, तो साफ एरिया की फिर सफाई कर्मी के साथ फोटो खींची जाएगी। इसके बाद सफाई कर्मियों की अटैंडैंस रखने की जरूरत नहीं होगी।

 

विवादास्पद मामलों के भागीदार नहीं बनना चाहते थे कांग्रेसी पार्षद :

उधर, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सदन से वाकआऊट के बाद सदन में वापस न जाने का निर्णय लिया गया, क्योंकि पार्षद टेबल एजैंडों के रूप में लाए जा रहे कुछ विवादास्पद मामलों की भागीदार नहीं बनना चाहती थी। इनमें मोहाली की तर्ज पर मैकेनिकल स्वीपिंग प्रथा अपनाना शामिल है। कांग्रेस का मानना है कि यह शहर के लिए जरूरी है पर इससे सफाई कर्मियों की छंटनी होने की भी आशंका है। कांग्रेस कर्मियों के विरुद्ध किसी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनना चाहती। इसके अलावा अंतिम समय में शहर में स्ट्रीट लाइटों से संबंधित एजेंडा सदन में नहीं रखा गया। कांग्रेस को इस पर भी संदेह था कि मेयर सिर्फ औपचारिकतावश कुछ कंपनियों के नाम लेकर सदन में आ रहे हैं जबकि कंपनी का चयन तो वह पहले ही कर चुके हैं। कांग्रेस ठेकेदारों के ठेके की राशि बढ़ाने के एजैंडे का भी भाग नहीं बनना चाहती थी।


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