गायनी का नहीं ‘ज्ञान’ पर सौंपी अध्यक्ष पद की कमान

punjabkesari.in Tuesday, Oct 10, 2017 - 12:34 PM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): संबंधित विभाग का डाक्टर ही उस विभाग की जरूरतों को समझ सकता है, लेकिन इसके बावजूद पिछले एक वर्ष से जी.एम.सी.एच.-32 के गायनी विभाग की अध्यक्षता किसी बाहर के डाक्टर को दी जा रही है। हाल ही में अस्पताल प्रशासन ने गॉयनी विभाग की जिम्मेदारी पूर्व निदेशक व मैडीसन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अतुल सचदेव को सौंप दी गई है। गायनी विभाग में सीनियर डाक्टर होने के बावजूद किसी दूसरे विभाग के डाक्टर को अध्यक्ष बनाया जा रहा है। जिसका खामियाजा मरीजों के साथ साथ अस्पताल डाक्टर्स को भी हो रहा है। 

 

सूत्रों की मानें तो पिछले एक वर्ष से गायनी विभाग में नई सुविधाएं तो क्या बेसिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही है। अधिकारियों की माने तो अध्यक्ष बाहर का होने की वजह से गायनी विभाग के जूनियर्स उनके साथ विभाग की प्लानिंग नहीं कर पा रहे है। अगर उनसे बात भी की जाए तो फील्ड अलग होने की वजह से वह उसे अहमियत नहीं दे रहे। प्रो. अतुल से पहले मौजूद डायरैक्टर प्रो. ए.के. जनमेजा के पास गायनी विभाग का चार्ज थे जिनके पास कई और विभागों की भी जिम्मेदारी है। 


मैडीकल काऊंसिल ऑफ इंडिया ने किया था आब्जैक्शन 
जी.एम.सी.एच.-32 ने एकैडमिक ईयर 2017-18 के लिए गॉयनी विभाग में पोस्ट ग्रैजुएट्स सीट्स में वृद्धि करने के लिए एम.सी.आई. को प्रस्ताव भेजा था। जिसके मद्देनजर एम.सी.आई. ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। उस वक्त गायनी विभाग मूलभूत सुविधाओं के साथ ही मौजूद अध्यक्ष को गायनी विभाग तो चार्ज देने पर एतराज जताया था। एम.सी.आई. ने साफ कहा था कि मौजूदा निदेशक प्रो. जनमेजा निदेशक का कार्यभाल संभाल रहे हैं ऐसे में उनके पास 6 विभागों की जिम्मेदारी कैसे हो सकती है। अप्रैल में पूर्व निदेशक प्रो. अतुल का कार्यकाल खत्म हुआ था, जिसके बाद ओफिशिएटिंग डायरैक्टर का पदभार प्रो. जनमेजा को सौैंपा गया था। 

 

गायनी विभाग के डाक्टर्स खुद मानते हैं कि विभाग कैसे चल रहा है, इसकी किसी को कोई परवाह नहीं है। पिछले वर्ष अगस्त में पूर्व गायनी हैड डा. अंजू के रिजाइन के बाद से विभाग की जिम्मेदारी बाहर का डाक्टर ही संभाल रहा है। एम.सी.आई. के ऑब्जैक्शन के बावजूद इसे बदला नहीं जा रहा है। मौजूद वक्त में गायनी विभाग की सीनियर डा. अलका सहगल हैं। नियमों के मुताबिक इस पद के लिए वह पहली दावेदार है लेकिन उनकी अनदेखी की जा रही है। डा. अलका की मानें तो मुझे हैड क्यों नहीं बनाया गया इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। न ही मुझे कोई ऑर्डर आए हैं। 

 

किसी भी अस्पताल का गॉयनी विभाग काफी संवेदनशील विभाग होता है। जहां दो जिंदगियों का सवाल होता है। एमरजैंसी 24 घंटे काम करती है जिसमें 12 घंटे की शिफ्ट्स में 45 डाक्टर्स काम करते हैं। डिपार्टमैंट में क्या चल रहा है इसकी किसी को भी जानकारी नहीं है। किसी को  कोई नई रिक्रूटमैंट से लेना-देना नहीं है और न ही डिपार्टमैंट के प्रोटोकॉल से। पद के साथ एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी आती है। जिसके साथ न्याय नहीं किया जा रहा है। एक वर्ष से एक भी रैजीडैंट्स अध्यक्ष पास अपनी परेशानी लेकर नहीं गया है क्योंकि उन्हें पता है कि उसका कोई फायदा नहीं होगा। 


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