मेयर के आश्वासन के बाद लोगों ने खत्म किया प्रदर्शन, कूड़ा डंपिंग ग्राऊंड में गिरना हुआ शुरू

Friday, Jun 23, 2017 - 01:43 AM (IST)

चंडीगढ़, (राय): नगर निगम की मेयर आशा जायसवाल के आश्वासन के बाद वीरवार को डड्डूमाजरा के स्थानीय लोगों ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया, जिसके बाद डंपिंग ग्राऊंड में कचरा गिरना शुरू हो गया। मेयर व संयुक्त आयुक्त ने वीरवार को डंपिंग ग्राऊंड का दौरा किया और विरोध कर रहे लोगों से मुलाकात की।

मेयर ने लोगों को आश्वासन दिया कि वह सदन की बैठक में इस समस्या के हल के लिए प्रस्ताव ला रहा हैं, जिसमें कि पूरी तरह से उनके हक में फैसला लिया जाएगा, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। लोगों के प्रदर्शन के चलते कचरे से भरे ट्रक बाहर खड़े रहे थे, क्योंकि लोगों ने यहां पर कचरा गिराने नहीं दिया था। लोगों का कहना था कि यह कचरा प्लांट में प्रोसैस किया जाना चाहिए।

इसे लेकर पिछले दो दिन से पार्षद राजेश कालिया के नेतृत्व में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे थे और वह डंपिंग ग्राऊंड में कचरा नहीं गिराने दे रहे थे। लोगों ने कहा कि मेयर ने आश्वासन दिया है, जिसके बाद उन्होंने अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। अगर सदन की बैठक में फैसला उनके हक में नहीं हुआ तो वह दोबारा विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे।

 मंगलवार को स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था और कचरे की गाडिय़ां प्लांट में भेज दी थी। इसके बाद ही बुधवार को कंपनी ने प्लांट बंद कर दिया था और कहा था कि कचरा प्रोसैस करने के चलते इसमें खराबी आ गई गई।

एन.जी.टी. में दायर अर्जी में करोड़ों के नुक्सान का जिक्र

गार्बेज प्रोसैसिंग प्लांट की संचालक जे.पी. एसोसिएट्स ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) में करार रद्द होने के खिलाफ जो अर्जी दायर की है उसमें कंपनी ने इतने वर्षों में लगभग 41.15 करोड़ रुपए के नुक्सान का जिक्र किया है। 80 पेज की इस अर्जी में 77.21 करोड़ रुपए निवेश किए जाने का जिक्र किया गया है। अर्जी में निगम के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक विचार करार दिया गया। अर्जी में ट्रिब्यूनल से मांग की गई है कि कब्जा लेने से पूर्व निगम को उन्हें 35 करोड़ रुपए के तौर पर बैंक गारंटी प्रदान करें।

अर्जी में निगम से टिप्पिंग शुल्क के तौर पर 75 लाख रुपए बतौर बैंक गारंटी वापस दिए जाने की भी मांग की गई है। अर्जी में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2008 में प्लांट के शुरू होने के बाद 2014 तक निगम ने कोई शिकायत नहीं की, लेकिन जब टिप्पिंग शुल्क की मांग की गई तो इसके बारे में पूछा जाने लगा। अर्जी में मांग करते हुए दावा किया गया है कि टिप्पिंग शुल्क दोनों पक्षों के समझौते का हिस्सा थी।

 अर्जी में आरोप लगाया गया है निगम ने टिप्पिंग शुल्क के तौर पर अनुबंध संबंधी शर्तों से पीछे हटते हुए ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी कि याचिकाकर्त्ता के लिए प्लांट का संचालन करना असंभव हो गया। अर्जी में कहा गया कि इतने नुक्सान के बाद भी याचिकाकर्त्ता ने इतने परिचालन नुक्सान के बाद भी प्लांट को नियमित तौर पर संचालित रखा।

मेयर आशा जसवाल ने कहा कि लोगों से बात हो गई है और वह कचरा डंपिंग ग्राऊंड में गिराने को राजी हो गए हैं। सदन की बैठक में इस समस्या का हल करने के लिए प्रस्ताव लाया जा रहा है।

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