''जी आया साहब'' में दिखा बाल मजदूरों का दर्द
punjabkesari.in Monday, Apr 11, 2016 - 04:21 PM (IST)
चंडीगढ़(एकता श्रेष्ठ) : हमारे समाज में बाल मजदूरी अभिशाप है। यही दिखाने की कोशिश की गई नाटक ‘जी आया साहब’ में जिसे पंजाब कला भवन में चल रहे बैसाखी उत्सव के दौरान मंचित किया गया। इसे ग्रुप के बाल कलाकारों ने पेश किया। शहादत हसन मंटो द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन चक्रेश कुमार ने किया।
नाटक के जरिए बाल मजदूरी पर कटाक्ष किया गया। कहानी 10 साल के कासिम नाम के एक गरीब बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक पुलिस इंस्पैक्टर के घर काम करता है। कासिम से उसकी उम्र से ज्यादा काम करवाया जाता और साथ ही भूखे भी रखा जाता। अत्याचार की हद तब होती है जब दो नौकर होने के बाद भी उससे ही ज्यादा काम करवाया जाता है। एक दिन काम करते-करते अचानक गलती से उसकी ऊंगली कट जाती है। जिसके बाद उसे दो-तीन दिन का आराम मिल जाता है। लेकिन जब वो दोबारा काम पर आता है तो उससे दोगुना काम करवाया जाता है। इससे परेशान होकर वह खुद अपनी ऊंगली काट लेता है। उसे फिर दो दिन तक काम से उसे राहत मिलती है लेकिन तीसरे दिन फिर उसकी अत्याचार और अपमान और जिल्लत भरे दिन से गुजरना पड़ता है। नासमझ कासिम काम से कई दिन तक छुटकारा पाने के लिए दोबारा हाथ काटने की सोचता है लेकिन उसे चाकू नहीं मिलता और वह ब्लैड से हाथ काट लेता है। यह देख मालिक और मालकिन उसे घर से निकाल देता है। खून बहता देख आसपास वाले उसे हॉस्पिटल ले जाते हैं लेकिन ज्यादा खून बहने के कारण डाक्टर कासिम को हाथ काटने को कहते है और यहीं कहानी का अंत हो जाता है।
नाटक में 12 कलाकारों ने अभिनय किया है। जिसमें वन्दना, ज्योति, पूजा, रोशनी, दीप चन्द, मीनू सहित अन्य कलाकार शामिल रहे। नाटक में दर्शाया गया है कि आज भी देश में सबसे बड़ी समस्या बाल मजदूरी है। इससे बच्चे मुक्त नहीं हैं। कलाकारों ने नाटक के माध्यम से दर्शाया कि बाल मजदूरी को दूर करने के लिए योजनाएं भी कारगर साबित नहीं हो सकती हैं। गरीबी के कारण बाल मजदूरी का खात्मा अभी तक नहीं किया जा सका है।
