GMCH-32 नर्स की कार में खुली थी कैमिस्ट शॉप, पुलिस ने की जब्त

punjabkesari.in Sunday, Oct 15, 2017 - 09:28 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 में आज फिर दवाओं के अवैध कारोबार का पर्दाफाश हुआ। हॉस्पिटल की ही एक नर्स की मदद से कार में ही कैमिस्ट शॉप खोलकर दवा का कारोबार किया जा रहा था। 

 

मॉर्चरी के सामने पार्किंग में खड़ी लाल रंग की कार में दिल के मरीजों के लिए दवाओं का अंबार लगा रखा था। कार्डियक सेंटर के पेशेंट्स को इसी कार में से दवाएं सप्लाई की जा रही थी। हॉस्पिटल के नर्स वारिस ने अपने पिता की कैमिस्ट शॉप से दवाएं लाकर कार में सजा रखी थी। यह है कि नर्स उस समय डयूटी पर भी नहीं था जब उसकी कार पार्किंग में कैमिस्ट शॉप का काम कर रही थी। यही वो कार है जिसके दम पर लाखों रुपये की दवाओं का कारोबार लंबे समय से किया जा रहा था। 

 

चंडीगढ़ पुलिस ने हॉस्पिटल की पार्किंग में छापा मारकर वहां खड़ी कार को जब्त कर लिया है। कार में रखी दवाओं के सैंपल ड्रग इंस्पैक्टर ने ले लिए हैं और नर्स से मामले में पूछताछ जारी है। सिर्फ इतना ही नहीं हॉस्पिटल सिक्योरिटी ने शक के आधार पर शनिवार की सुबह तीन ऐसे कारिंदों को भी पकड़ा था जो अस्पताल में बेचने के लिए दवाएं लेकर आए थे।

 

सिक्योरिटी द्वारा पकड़े जाने पर दो कारिंदे ने मौके से फरार हो गए जबकि एक कारिंदे को सिक्योरिटी ने दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया। कुछ ही दिन पहले एक मरीज को पहले से इस्तेमाल डीजे स्टंट भी बेच दिया गया था। हॉस्पिटल के एडिशनल डायरैक्टर एडमिनिस्ट्रेशन सचीश जैन के सख्त आदेशों के बाद हॉस्पिटल सिक्योरिटी दवा अवैध तौर से बेचने वालों पर नजर रख रही है।

 

अब होगी नर्सेज पर सख्त कार्रवाई :
उधर, हॉस्पिटल प्रबंधन ने भी दवाओं के अवैध कारोबार के बाबत चंडीगढ़ प्रशासन को सूचित करने के लिए रिपोर्ट तैयार कर ली है। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सिर्फ एक नहीं बल्कि कई नर्सेज मिलकर अस्पताल में पिछले लंबे समय से दवाओं का कारोबार चला रहे हैं जबकि कुछ महीने पहले भी नर्सेज को ऐसा कारोबार चलाते हुए पकड़ा गया था और मामले में विजीलैंस जांच भी हुई थी और दो नर्सेज को हॉस्पिटल से पलसोरा के हैल्थ सैंटर में भी ट्रांसफर किया जा चुका है। 

 

हॉस्पिटल के अधिकारी ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर कहा कि हॉस्पिटल के अंदर काम करने वाले पुरुष नर्सेज लंबे समय से दवाओं का अवैध कारोबार कर रहे हैं। नर्सेज ने हॉस्पिटल के ही पास अपने पिता के नाम से लाइसैंस लेकर दवा की दुकानें खोल रखी हैं। दवाओं के धंधे को चमकाने के लिए इन्होंने कई कारिंदों को नौकरी दे रखी है। 6000 रुपए महीने के वेतन पर यह कारिंदे व्हाट्सएप के जरिए मरीजों से दवाओं का आर्डर लेते थे और उन्हें हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर के बाहर ही दवा की सप्लाई करते थे। 

 

हॉस्पिटल में महंगे किरायों पर दवा की दुकानें चलाने वाले कैमिस्ट कई बार हॉस्पिटल प्रबंधन को इस बाबत शिकायत दे चुके थे कि नर्सेज को दवाएं बेचने से रोका जाए क्योंकि नर्सेज के कारोबार चलाने की वजह से उनकी दवा दुकानों पर दवाएं बिक नहीं रही हैं परंतु दवाओं का अवैध कारोबार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अधिकारी का कहना है कि अब नर्सेज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।  

 

पुलिस ने कई घंटों तक की पूछताछ :
सिर्फ एक कार्डियक में कार्यरत नर्स ही नहीं बल्कि दूसरे कई विभागों की नर्सेज भी मिलकर दवाओं का यह अवैध धंधा चला रहे हैं। पुलिस ने आज गाड़ी को जब्त करने के बाद कई घंटे तक नर्स वारिस से लंबी पूछताछ की। जिसमें वारिस से पूछा गया कि उसकी कार में दवाओं के लिफाफे क्यों पड़े हुए हैं? सूत्र कहते हैं कि पूछताछ में नर्स ने कहा कि उसके पिता की पी.जी.आई. में दवा की दुकान है और उस दुकान की दवाएं उसने कार में रखी हुई हैं। 

 

दूसरी तरफ उसने यह भी कहा कि हॉस्पिटल ने कार्डियक सैंटर के मरीजों को दवाएं देने के लिए उसे कहा हुआ है। जब पुलिस ने इस बाबत कागज दिखाने को कहा तो नर्स ने ऐसा कागज दिखाया जिस पर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे जबकि उधर हॉस्पिटल प्रबंधन ने कहा कि उन्होंने किसी भी नर्स को मरीजों के लिए दवाएं सप्लाई करने के लिए नहीं कहा है। अधिकारी ने कहा कि कार्डियक सैंटर में सर्जरी और प्रोसिजर का सामान सप्लाई करने के लिए 4 या 5 कंपनियों को परमिशन दी गई है, किसी नर्स को इस बाबत कोई आदेश नहीं दिए हैं। 


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