बुड़ैल जेल में कैदियों से मिली चरस और अफीम

Tuesday, Apr 09, 2019 - 09:19 AM (IST)

चंडीगढ़(सुशील) : बुडै़ल जेल में कड़ी चैकिंग और सुरक्षा के दावों के बावजूद बैरक में नशीला पदार्थ मिलने से सवाल खड़े हो गए हैं। बुडै़ल जेल की बैरक नंबर चार और पांच के अंदर दो कैदियों से 13.60 ग्राम चरस और 19.20 ग्राम अफीम बरामद हुई है। जेल के डिप्टी सुपरिंटैंडैंट अमनदीप सिंह ने कैदी बॉबी और परमिंदर सिंह के खिलाफ सैक्टर-49 थाने में शिकायत दी। 

सैक्टर 49 थाना पुलिस ने दोनों के खिलाफ एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस जल्द ही दोनों कैदियों को पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आएगी। अमनदीप सिंह ने पुलिस को बताया कि रविवार सुबह सात बजे जेल स्टाफ ने मिलकर बैरकों में चैकिंग अभियान चलाया था। इस दौरान बैरक नंबर चार में कैदी बॉबी की पेंट से प्लास्टिक का लिफाफा मिला।

 जब उन्होंने लिफाफा चैक किया तो उससे 19.20 ग्राम अफीम बरामद हुई। उन्होंने कैदी से अफीम के बारे में पूछा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद बैरक नंबर पांच की चैकिंग की तो कैदी परमिंदर की पेंट से प्लास्टिक का लिफाफा मिला। जेल स्टाफ ने जब लिफाफा खोला तो उसमें से 13.60 ग्राम चरस बरामद हुई। परमिंदर ने भी उन्हें नशीला पदार्थ जेल के अंदर लाने के बारे में कोई जवाब नहीं दिया। डिप्टी सुपरिटैंडैंट ने बताया कि कैदी बॉबी बुड़ैल जेल में मारपीट और ट्रेस पासिंग मामले में कैद है, जबकि परमिंदर सिंह जेल में एन.डी.पी.एस. एक्ट में बंद है। 

जेल स्टाफ की मिलीभगत से पहुंचा नशा
बुडै़ल जेल के अंदर नशीला पदार्थ कैदियों की बैरक में मिलने पर जेल वार्डन और स्टाफ पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जेल स्टाफ की मिलीभगत से ही अंदर नशीला पदार्थ कैदियों तक पहुंचता है। कैदी जेल वार्डन व स्टाफ को इसके लिए मोटी रकम देते हैं। 

जेल में नशा सप्लाई होने पर सजायाफ्ता कैदी ने डाली थी जनहित याचिका 
बुड़ैल जेल में सजा काट चुके सरबजीत सिंह उर्फ रॉकी ने 2017 में जनहित यचिका दाखिल कर कैदियों के जरिए नशे की सप्लाई का आरोप लगाकर पूरे जेल प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था। याचिका में कहा गया कि जेल में बड़े पैमाने पर कैदियों को ड्रग्स, चिट्टा, स्मैक, बीड़ी, कैप्सूल आदि नशीले पदार्थों की सप्लाई हो रही है। जेल में नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए योजनाबद्घ तरीके से काम किया जाता है। इसमें अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। चैकिंग के अभाव में यह नशा जेल के कैदियों के लिए उपलब्ध होता है। हालांकि इसकी कीमत बाहर के मुकाबले जेल के अंदर 3 से 50 गुना तक हो जाती है।

bhavita joshi

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