निगम की वित्तीय स्थिति सुधारना मौदगिल के लिए होगी चुनौती

Tuesday, Jan 16, 2018 - 11:24 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय): नवनिर्वाचित मेयर देवेश मौदगिल के लिए नगर निगम को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मेयर का पदभार संभालने से पहले ही निगम का खजाना खाली हो चुका है। कभी निगम के फिक्स डिपॉजिट में करीब 500 करोड़ रुपए थे पर अब केवल 34 करोड़ रह गए हैं। निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आय के नए स्रोत पैदा करना भी एक चुनौती है। मेयर का कहना है कि इसके लिए वह केंद्र सरकार से सहायता की अपील करेंगे व सांसद से भी इसमें सहयोग लिया जा सकता है। मौदगिल के सामने राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता रैंकिंग में चंडीगढ़ का स्तर बेहतर करने की भी चुनौती होगी। इसके लिए पहले से ही कवायद शुरू हो चुकी है। मेयर का कहना है कि वह इसके लिए समाज के सभी वर्गों से सहयोग की अपील कर रहे हैं और इसके लिए जन आंदोलन की जरूरत है। 


 

सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट भी बड़ी चुनौती
मेयर के लिए दूसरी बड़ी चुनौती है शहर में सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट की। शहर का एकमात्र सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट शहर का पूरा करीब 450 टन कचरा लेने की बजाय 90 से 100 टन ही ले रहा है व उक्त प्लांट को चलाने वाली कंपनी ने अभी तक कम्पोस्ट प्लांट भी शुरू नहीं किया है। इसके चलते शहर के अधिकांश कचरा डड्डूमाजरा के डमिं्पग ग्राऊंड में जा रहा है, जहां रह रहे लोगों का जीना बदबू से दूभर हो गया है। मेयर का कहना है कि वह सारी स्थित पर गंभीरता से विचार कर कोई ठोस निर्णय लेंगे। पूर्व मेयर आशा जसवाल के समय में शहर के लोगों पर कुछ नए कर लगे व पार्किंग शुल्क में बढ़ौतरी हुई। वर्तमान मेयर का कहना है कि अगर शहर के हित में कोई कठोर निर्णय लेना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेंगे। 


 

मनीमाजरा में अधिग्रहण की गई भूमि का निगम प्रयोग नहीं कर सका 
वर्ष 1990-92 में मनीमाजरा में अधिग्रहण की गई भूमि का आज तक निगम प्रयोग नहीं कर सका है क्योंकि प्रशासन के वास्तु विभाग ने इसकी योजनाओं को ही मंजूर नहीं किया। मोदगिल को इस भूमि का सदुपयोग करने के लिए भी प्रशासन से मामला उठाना होगा। प्रशासन पिछले कुछ वर्षों से निगम को उसकी संपत्ति की नीलामी की भी अनुमति नहीं दे रहा है। बूथों की नीलामी के प्रयास अवश्य किए गए पर लीज होल्ड पर नीलामी होने के चलते निगम उसमें सफल नही हो पाया। निगम की करोड़ों की इस प्रकार की संपत्ति के लिए भी मेयर को निर्णय लेने होंगे। 


 

स्वच्छ भारत मिशन में रैंकिंग सुधारना भी चेलैंज
मेयर के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहा स्वच्छ भारत मिशन। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी में आने के बाद तो इस पर विशेष बल दिया गया। पूर्व मेयर आशा जसवाल के नेतृत्व में यह अभियान कितना सफल रहा यह उनके अपने वार्ड में लगे कचरे के ढेर बता देते हैं। कांग्रेस ने आशा जसवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्वयं तो कोई नई परियोजना शुरू नहीं की लेकिन कांग्रेस के समय में पारित कई कामों को भी आगे बढ़ाने में नाकाम रही। 

 

डंपिंग ग्राऊंड के लिए वैकल्पिक स्थल की तलाश, सफाई कर्मचारियों व निगम में अन्य स्टाफ की भर्ती, निगम को संविधान के अनुरूप राजस्व अर्जित करने वाले विभाग दिलवाना आदि कुछ ऐसे मुद्दे है जिन्हें भाजपा ने चुनावी वायदों के रूप में प्रयोग किया पर किसी मंच पर इन्हें नहीं उठाया। गत वर्ष निगम सदन में फैसला लिया गया था कि प्रशासन से आंशिक रूप से मिले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्कूलों को पूरी तरह निगम को देने की मांग प्रशासक से करने का निर्णय लिया ता। देवेश मौदगिल को इस दिशा में भी कदम उठाने होंगे। इतना ही नहीं, पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुरूप प्रशासन से कमाई वाले विभाग लेना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। 


 

डिफाल्टरों से राशि लेने के लिए भी कठोर कदम उठाने होंगे
विज्ञापन नियंत्रण एक्ट 1954 के तहत डिफाल्टरों से करोड़ों की राशि लेने के लिए भी मेयर को कठोर कदम उठाने होंगे। पानी के डिफाल्टरों, संपत्ति कर के डिफाल्टरों से भी निगम की राशि की भरपाई के लिए मेयर को कवायद करनी होगी। पूर्व मेयर ने इसके लिए चंडीगढ़ के प्रशासक तक से गुहार लगा दी थी। इसके अतिरिक्त चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्रशासन के राजस्व से निगम का पूरा हिस्सा लिया जाना भी मेयर की प्राथमिकता होगा। निगम ने गत वर्ष अपने आय के स्रोत बढ़ाने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने के बाद पानी की दरें, व्यवसायिक वाहनो पर प्रवेश शुल्क, फायर की एन.ओ.सी. देने का शुल्क, प्रोफैशनल टैक्स, व्यवसायिक संपत्ति पर लगे कर को रिव्यू करना आदि जैसे राजस्व बढ़ाने के प्रस्तावों को सदन में रखा था पर वह पारित नहीं हो पाए। 


 

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