रिवाइज्ड एस्टीमेट में केंद्र ने यू.टी. के लिए मंजूर किए 223 करोड़

Saturday, Nov 09, 2019 - 10:52 AM (IST)

चंडीगढ़ (राजिंद्र):  रिवाइज्ड एस्टीमेट में चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से वित्त मंत्रालय से मांगे गए 223 करोड़ रुपए के बजट को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी। वीरवार को प्रशासक के सलाहकार को इसकी जानकारी मिली, जिसके बाद शुक्रवार को सुबह सभी पार्षदों को प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने अपने आवास पर बुलाया और नगर निगम को 152 करोड़ की सौगात दे दी। यू.टी. प्रशासन के वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने रिवाइज्ड एस्टिमेट में 246 करोड़ रुपए की मांग की थी। इसमें सबसे ज्यादा 125 करोड़ रुपए निगम के लिए मांगे गए थे।

 

पावर परचेज के लिए 21 करोड़, लैंड इक्विजेशन के लिए 60 करोड़, इंजीनियरिंग विभाग के लिए 10 करोड़, ट्रांसपोर्ट विभाग के लिए 7 करोड़ रुपए और अन्य विभागों के लिए भी कुछ करोड़ की मांग की थी। प्रशासन के इन सभी मांगों को केंद्र सरकार से मंजूरी दे दी है। निगम लगातार पैसों की कमी से जूझ रहा था। बजट नहीं होने से नगर निगम न तो सड़कें ठीक करवा पा रहा था, न ही कोई नया प्रोजैक्ट शुरू कर पा रहा था। इसको देखते हुए प्रशासन ने आर.ई. में सबसे अधिक पैसे नगर निगम के लिए ही मांगे गए थे।

 

100 करोड़ की ग्रांट भी देने का दिया आश्वासन
आर्थिक संकट के बीच नगर निगम के लिए शुक्रवार का दिन राहत वाला रहा। मेयर की अगुवाई में पार्षदों का दल और निगम कमिश्नर नगर प्रशासक के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटे। राजभवन में मुलाकात के दौरान नगर प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने निगम को तत्काल 50 करोड़ सड़कों की रिकार्पेटिंग के लिए जारी कर दिए। इतना ही नहीं, अतिरिक्त खर्च के लिए 100 करोड़ की ग्रांट भविष्य में देने का आश्वासन दिया गया। 
    

इनमें 38 करोड़ एडीशनल वाटर स्टोरेज क्षमता बढ़ाए जाने और 14 करोड़ जंडपुर के लिए देने का वायदा किया गया। दोनों परियोजनों के लिए निगम को बाकायदा प्रस्ताव भी तैयार करने को कहा गया। निगम की स्थिति इतनी डावांडोल बनी हुई है कि निगम के पास कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल बना हुआ है। निगम की ङ्क्षचता दिसम्बर के वेतन को लेकर भी है। अब प्रशासक ने जो 100 करोड़ दिए जाने का आश्वासन दिया है उसमें उम्मीदें जागी हैं कि भविष्य में प्रत्येक वार्ड में विकास कार्य किए जा सकेंगे। 

 

पार्षदों ने खस्ताहाल सड़कों की चर्चा की 
बैठक में पार्षदों ने शहर की सड़कों बदतर और खस्ताहाल सड़कों को लेकर चर्चा की, पिछले दिनों यह मसला काफी उठा था, इससे निगम की खासी किरकिरी हुई। सितम्बर की सदन बैठक में निगम आयुक्त के.के. यादव को यह तक कहना पड़ा था कि निगम के पास रोड की रि-कार्पेटिंग के लिए पैसा नहीं है। पार्षदों ने नगर प्रशासक के समक्ष सड़कों की खराब स्थिति बयां की, जिसके बाद इसके लिए ग्रांट जारी करने के आदेश जारी किए गए। 
    

सड़कों की रिकार्पेटिंग का कार्य भी जल्द शुरू हो सकेगा। उधर, मेयर का कहना है कि हमने वह अतिरिक्त खर्चा मांगा है, जो निगम का खर्च हो रहा था। वहीं, उनका यह भी कहना था कि एडवांस में तिमाही किस्त जारी किए किए जाने के बारे में भी कहेंगे। हाऊसिंग बोर्ड के मकानों में तोड़-फोड़ बंद करे प्रशासन: मोदगिल

 

बदनौर से मुलाकात के दौरान पार्षदों के दल ने अन्य मसले उठाए। पूर्व मेयर और पार्षद देवेश मोदगिल ने हाऊसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वाले लोगों को नोटिस न देने और तोड़-फोड़ बंद करने की मांग की। उन्होंने मांग कि प्रशासन लोगों की ओर से जरूरतों के आधार पर मकानों में किए गए परिवर्तनों को एकमुश्त राहत दे। हाऊसिंग बोर्ड निवासियों में असंतोष व्याप्त है, प्रशासक लोगों की इस समस्या का समाधान करें। 

 

उन्होंने साथ ही चौथे फायनेंस कमीशन की सिफारिशों के आधार पर प्रशासन के राजस्व में निगम का 30 प्रतिशत हिस्सा मांगा। जिस वक्त यह मांग उठाई जा रही थी तब बैठक में प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा सहित अन्य आला अधिकारी भी मौजूद थे। 
    

उन्होंने कहा पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट एक्सटैंडेड तो यू.टी. चंडीगढ़ के प्रावधान के आधार पर निगम का शेयर, एक्साइज ड्यूटी में निगम का हिस्सा, स्टाम्प ड्यूटी मे निगम का हिस्सा, एंटरटेनमैंट टैक्स, बिजली ड्यूटी में निगम का हिस्सा एवं वाहन पंजीकरण विभाग निगम को देने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई।

pooja verma

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