PGI में नई कैथ लैब शुरू होते ही पुरानी कर दी बंद

Friday, Dec 15, 2017 - 09:16 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : पी.जी.आई. एडवांस कॉर्डियक सैंटर की कैथ लैब में मरीजों के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए 4 वर्ष पहले नई कैथ लैब बनाने का प्रोजैक्ट शुरू किया गया था, ताकि मरीजों की बढ़ती वेटिंग लिस्ट कम की जा सके। 

 

वहीं नई कैथ लैब शुरू होते ही पुरानी लैब बंद कर दी है। नई कैथ लैब शुरू करने के पीछे विभाग का मकसद बढ़ती मरीजों की तादाद कम करने का था। इस वर्ष की शुरूआत में नई लैब का कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया गया था। प्रशासन द्वारा 15 मई को लैब में मशीन लाने की डैडलाइन तय की थी लेकिन 6 माह बाद जाकर यह शुरू हो पाई है। 

 

प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो अगर सब योजना के मुताबिक चलता तो नई लैब दो वर्ष पहले ही शुरू हो चुकी होती। एडवांस कार्डियक सैंटर की ओ.पी.डी. में रोजाना 150 से 200 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं, ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए कार्डियक सैंटर में सिर्फ 2 कैथ लैब से गुजारा किया जा रहा है। 

 

4 में से दो बंद :
पी.जी.आई. कॉर्डियक सैंटर में मरीजों के लिए फिलहाल चार कैथ लैब हैं। इनमें से इस समय सिर्फ 2 ही काम कर रही हैं। नई लैब शुरू होते ही जहां पुरानी बंद कर दी गई, वहीं एक लैब काफी समय से बंद पड़ी है। सूत्रों की मानें तो खराब हो चुकी लैब की मशीन एक्सपायर हो चुकी है, जिसे रिप्लेस करने के लिए कंपनी भी कई बार कह चुकी है। इसके बावजूद पुरानी मशीन नहीं बदली जा रही। 

 

तीन से चार माह की वेटिंग :
कॉर्डियक सैंटर में कैथ लैब की कमी से मरीजों को तीन से चार माह की लंबी वेटिंग लिस्ट में बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। एक मशीन के सहारे रोजाना औसतन 10 से 12 मरीजों को इलाज दिया जा रहा है। अगर सैंटर की बाकी दोनों लैब ठीक करवा दी जाएं तो रोजाना 30 से ज्यादा मरीजों को इलाज मिल पाएगा। एक कैथ लैब पर औसतन डेढ़ से 10 करोड़ रुपए की लागत आती है। 

 

लैब कम, ऑप्रेटर ज्यादा :
कॉर्डियक सैंटर की कैथ लैब के लिए पहले 7 ऑप्रेटर्स होते थे जबकि अब इनकी संख्या 13 कर दी है। लैब से ट्रीटमैंट देने के बाद अगर सबकुछ ठीक हो तो मरीज को 48 घंटों के अंदर छुट्टी दे दी जाती है। सोमवार से शनिवार सुबह 8 से रात 8 बजे तक कैथ लैब का प्रोसैस किया जाता है। वहीं लैब कम होने से सभी ऑप्रेटर्स को काम भी नहीं मिल पाता है। 

 

कैथ लैब का फंक्शन :
एंजियोप्लास्टी, एंजियोग्राफी, पेस मेकर लगाना, पी.एम.एस.वी. (बच्चों के दिल में छेद ट्रीट करना) व दिल के साथ-साथ बॉडी के दूसरे पार्ट्स में हुई ब्लॉकेज को कैथ लैब में ट्रीट किया जाता है। 

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