समुद्री नाविकों से छीने जा रहे हैं बुनियादी मानवाधिकार" - MASSA के सीईओ कैप्टन शिव हाल्बे

punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 01:19 PM (IST)

चंडीगढ़। समुद्री नाविकों के साथ दुनिया भर में अक्सर अवांछनीय तत्वों की तरह व्यवहार किया जाता है और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा जाता है। भारत भी, जो वैश्विक स्तर पर समुद्री नाविकों का एक प्रमुख स्रोत है, ‘न्यायपूर्ण व्यवहार’ के मामले में अच्छी स्थिति में नहीं है। भारत की अग्रणी समुद्री संस्था, द मैरिटाइम एसोसिएशन ऑफ शिपओनर्स, शिपमैनेजर्स एंड एजेंट्स (MASSA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैप्टन शिव हाल्बे के अनुसार, मैरीटाइम लेबर कन्वेंशन 2006 द्वारा निर्धारित कल्याणकारी सुविधाएं, तटीय अवकाश और स्वदेश वापसी की व्यवस्थाएं गंभीर रूप से कमजोर हैं।
कैप्टन हाल्बे ने ‘डे ऑफ द सीफेरर’ के अवसर पर भारतीय समुद्री नाविकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। यह दिन भारत में 25 जून को मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि समुद्री नाविकों का जीवन अब पहले जैसा नहीं रहा, क्योंकि जहाजों की बंदरगाहों पर रुकने की अवधि अब काफी कम हो गई है, जिससे उनके जीवन में एकरसता और मानसिक थकान बढ़ रही है। इस स्थिति को और जटिल बना देते हैं विभिन्न कड़े नियम और कानून, जिनमें से कुछ का उल्लंघन करने पर दंडात्मक प्रावधान भी हैं। पर्यावरण से जुड़े कई सख्त नियम, जिनका पालन बंदरगाहों को करना चाहिए था, अब जहाजों पर लागू कर दिए गए हैं।
भले ही वैश्विक मैरीटाइम लेबर कन्वेंशन में ऐसे संशोधन किए गए हैं जिनका उद्देश्य जहाज बंदरगाह पर होने की स्थिति में नाविकों को तटीय अवकाश, स्वदेश वापसी और सवार होने की सुविधा देना है, लेकिन भारत समेत अधिकांश देशों द्वारा इन प्रावधानों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
हर साल 25 जून को मनाया जाने वाला ‘डे ऑफ द सीफेरर’ इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में समुद्री नाविकों के अहम योगदान को मान्यता देता है और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को सामने लाता है। यह दिन उनके त्याग की सराहना करने और उनके कल्याण एवं न्यायपूर्ण व्यवहार की वकालत करने की एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है।
इसके साथ ही, पंजाब राज्य उच्च योग्यता प्राप्त समुद्री नाविकों — जिन्हें आमतौर पर मर्चेंट नेवी अधिकारी कहा जाता है — का एक बड़ा स्रोत है। ये अधिकारी विशेष मालवाहक जहाजों पर काम करते हैं और माल और जहाज दोनों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी निभाते हैं।
अनुमान है कि वैश्विक शिपिंग उद्योग में भारतीय समुद्री नाविकों की भागीदारी अगले दस वर्षों में मौजूदा लगभग 10% से बढ़कर 20% तक हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय समुद्री नाविकों की कुल संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है — 2013 में यह संख्या जहां लगभग 1,08,000 थी, अब यह बढ़कर लगभग 2,50,000 हो गई है।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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