हरियाणा व पंजाब में तेजी से बढ़ रहा है गैर-कानूनी सिगरेट का कारोबार

Thursday, Sep 05, 2019 - 02:56 PM (IST)

चंडीगढ़ (पाल):हरियाणा और पंजाब अब गैर-कानूनी तरीके से सिगरेटों के निर्माण, कारोबार और खप्त का बड़ा केंद्र बनते जा रहे हैं। इसके मद्देनजर विशेषज्ञों ने मांग की है कि नियमों को तत्काल प्रभाव से सख्त बनाया जाए और उनके कड़ाई से अमल के साथ ही प्रशासन कार्रवाई करे। 

 

बुधवार को आयोजित एक जागरूकता सैमीनार को संबोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ आर.के.तिवारी ने कहा कि अगर पंजाब व हरियाणा में अवैध सिगरेटों का उत्पादन व बिक्री को खत्म नहीं किया गया तो लोगों के स्वास्थय पर संकट व सरकार के राजस्व में सेंध बढ़ती जाएगी। 

 

गैर-कानूनी सिगरेटों के निर्माण के अलावा चीन व अन्य देशों से नकली सिगरेटों की तस्करी भी यहां की जा रही है। विन, ब्लैक, ऐस्स, मॉन्ड, पाइन आदि ब्रांडों के पैकेटों पर अनिवार्य 85 प्रतिशत पिक्टोरियल चेतावनी भी नहीं होती जिससे ग्राहक यह समझ बैठते हैं कि ये सुरक्षित सिगरेट हैं। 

 

हर 4 सिगरेटों में से एक अवैध 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में खप्त किए जाने वाले हर 10 सिगरेट व तंबाकू उत्पादों में से 1 गैर कानूनी होती है, हालांकि भारत में यह स्थिति गंभीर है, यहां हर 4 सिगरेटों में से एक अवैध है। इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में प्रोफैसर पम्पा मुखर्जी ने बताया कि गैर-कानूनी सिगरेटों के करोबार से भारत सरकार को 13,000 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व का नुक्सान होता है। 

 

एक्ट में फैक्टरी की परिभाषा उत्पादों पर कोई अपवाद नहीं बनाती। सरकारी कालेज सैक्टर-46 के सहायक प्रोफैसर पंडित राव धरनेश्वर ने कहा कि नकली सिगरेट के कारोबार को रोकने के लिए अगर राज्य सरकारें सचेत नहीं हुई तो इसके गंभीर परिणाम सामने होंगे। 

 

इनमें होते हैं बेहद खतरनाक पदार्थ 
पंजाब यूनिवर्सिटी में बी.जी.जे. इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ के डॉ.राकेश खुल्लर ने कहा कि गैर-कानूनी सिगरेटों में खतरनाक पदार्थ मिले रहते हैं जिनमें चीन से आयातित मादक पदार्थ भी शामिल होते हैं और ये बहुत ही नुक्सानदेह होते हैं। इन अवैध सिगरेटों में 5 गुणा अधिक कैडमियम, 6 गुणा अधिक सीसा और आर्सेनिक का उच्च स्तर रहता है। इनमें 160 प्रतिशत ज्यादा टार, 80 प्रतिशत ज्यादा निकोटीन व 133 प्रतिशत ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड होता है।

pooja verma

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