बैटरी बैकअप पर उठे सवाल, एक ही इलैक्ट्रिक बस चलेगी फिलहाल

punjabkesari.in Thursday, Feb 23, 2017 - 09:16 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में इलैक्ट्रिक बसों को चलाने के लिए तैयारी तो शुरू कर दी है, लेकिन यह प्रोजैक्ट कितना कारगार साबित होगा इस पर कुछ सवाल उठने लगे हैं। पिछले सप्ताह कुछ कंपनियों ने इलैक्ट्रिक बस पर प्रैजेंटेशन भी दी थी। जिसके बाद यू.टी. के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट के सामने ये सवाल आए। यही वजह है कि किसी भी कंपनी से टाईअप करने से पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने इलैक्टिक बसों का ट्रायल लेने का फैसला लिया है। 

 

दरअसल प्रशासन की प्लानिंग थी कि किसी कंपनी की लगभग 10 इलैक्ट्रिक बसों को किराए पर लेकर उन्हें रूट पर उतारा जाए, लेकिन अब इस प्लान पर थोड़ा फेरबदल करते हुए प्रशासन ने पहले ट्रायल बेस पर एक इलैक्ट्रिक बस को चलाने का फैसला लिया है। अधिकारियों का कहना है कि देश में कहीं भी इलैक्ट्रिक बसों को लेकर पॉलिसी लागू नहीं हो पाई है। सभी जगह केवल ट्रायल बेस पर ही बसें चलाई जा रही हैं। यही वजह है कि चंडीगढ़ प्रशासन को भी सबसे पहले ट्रायल पर ही बसें चलानी पड़ेंगी। तभी पता चलेगा कि इलैक्ट्रिक बसें शहर के लिए फिट हैं या नहीं। सूत्रों के अनुसार ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट द्वारा यह बस एक महीना चलाई जाएगी।

 

10 कंपनियों ने दी प्रैजेंटेशन :
इलैक्ट्रिक बसों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रैस्ट मांगे गए थे। जिसके लिए 10 कंपनियों ने अप्लाई किया। बीते शनिवार इन्हीं कंपनियों के साथ ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट के अधिकारियों ने यू.टी. गेस्ट हाऊस में एक मीटिंग की थी। सभी कंपनियों को आधा-आधा घंटे का समय दिया गया था। अब इन्हीं कंपनियों में से किसी एक को चुनकर उससे ट्रायल पर इलैक्ट्रिक बस ली जाएगी। 

 

पहले तैयार होगा इंफ्रास्ट्रक्चर :
एक इलैक्ट्रिक बस की कीमत लगभग 1.50 करोड़ से 3.50 करोड़ के बीच है। एक बार अगर इलैक्ट्रिक बसों का कांसेप्ट शहर की सड़कों के लिए कामयाब साबित हो गया तो इन बसों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इससे पहले इलैक्ट्रिक बसों के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। जिससे कि ये बसें लंबे समय तक चलें और प्रोजैक्ट भी कामयाब रहे। इंफ्रास्ट्रक्चर को लोकल लेवल पर मजबूत किया जाएगा।

 

बैटरी बैकअप बन रही परेशानी :
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट के सामने सबसे अधिक परेशानी इलैक्ट्रिक बसों की बैटरी बैकअप की सामने आ रही है। अधिकारियों का कहना है कि कंपनियों द्वारा बैटरी बैकअप को लेकर क्लेम तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत तभी सामने आएगी जब बस रूट पर चलने लगेगी। बसों का बैटरी बैकअप कितना होगा? कितने समय बाद उन्हें चार्ज करना होगा? किन-किन जगहों पर चार्जिंग प्वाइंट लगाने होंगे? ऐसे ही कईं अन्य सवालों का हल तलाशाने के लिए डिपार्टमेंट ने फिलहाल एक बस को ट्रायल पर चलाने का निर्णय लिया है। 


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