बुर्ज कोटिया में हादसों पर प्रशासन लाचार या फिर अन्धविश्वास

punjabkesari.in Monday, Aug 01, 2016 - 12:06 PM (IST)

पंचकूला, (धरणी): घग्गर नदी के बहाव में डूबकर लोगों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। हर साल की तरह इस साल भी घग्गर और कौशल्या नदी के सुमेल पर 2 लोगों की मौत हो गई। इस घटना को कई लोग धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं तो कई इसे प्रशासन की लापरवाही कह रहे हैं। धर्म के अनुसार देखा जाए तो घग्गर नदी और कौशल्या नदी का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि पांडव काल में पांडवों ने बनवास के दौरान कौशल्या नदी के किनारे पिंजौर  में  निवास किया और नदी की पूजा भी की इसलिए कई लोगों द्वारा हर साल हो रही इन दुर्घटनाओं को बली पूजा इत्यादि से भी जोड़ा जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं को स्वीकृति देने वाले लोग मानते हैं कि कौशल्या नदी की सावन में पूजा-अर्चना नहीं की जाती। बुर्ज कोटिया अघोषित टूरिस्ट प्लेस बनता जा रहा है। यहां प्रशाशन ने धारा-144 के बोर्ड तो लगा रखे हैं मगर इस असुरक्षित स्थान पर एक होमगार्ड भी नहीं देखा जाता। यहीं से कुछ दूरी पहले कौशल्या व घग्गर नदियों का मिलन होता है और यह नदी अपनी पहचान घग्गर के रूप में बनाती है। बुर्ज कोटिया में प्रशासन इतना लाचार क्यों है, जहां कानून की उल्लंघना खुले आम होती है।
पंचकूला जिले में पड़ते बुर्ज कोटिया में बीते दिन भी पानी के तेज बहाव की चपेट में आकर 2 लड़कियों ने अपनी जान गंवाई। यह सिलसिला आज से शुरू नहीं हुआ है कई सालों से इस नदी में हादसे होते आ रहे हैं। इसे कई लोग अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं तो कोई प्रसासन की लापरवाही से।

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