पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चचेरे भाई को कोर्ट ने किया मृत घोषित

punjabkesari.in Saturday, Aug 27, 2016 - 02:20 PM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र) : कांग्रेसी नेता एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चचेरे भाई सैक्टर 28-ए निवासी राजिंद्र सिंह हुड्डा को वर्ष 2003 में हुए एक हादसे में लापता होने के 13 साल बाद कोर्ट ने उन्हें मृत घोषित किया है। उनकी प्रॉपर्टी का खुद को कानूनी रूप से उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए उनकी पत्नी रेणु हुड्डा (43), बेटे करण हुड्डा (22) व बेटी कनिका हुड्डा ने वर्ष 2014 में केस दायर किया था। इसमें जनरल पब्लिक समेत एल.आई.सी. समेत रोहतक निवासी मिसरी देवी (राजिंद्र हुड्डा की मां) को प्रतिवादी पक्ष बनाया था। संबंधित याचिका में मांग की गई थी कि राजिंद्र सिंह हुड्डा के गुमशुदा होने का 7 साल से कोई पता नहीं चला। वह 31 जुलाई, 2003 से गुमशुदा हैं। ऐसे में उनकी चल-अचल संपत्ति का वारिस उनकी पत्नी व बच्चों (याचियों) को घोषित किया जाए। कोर्ट ने आदेशों में कहा कि राजिंद्र हुड्डा ने अपने जीवनकाल की पॉलिसीज में नॉमिनी बनाए थे ताकि उनके बाद वह पॉलिसी रकम हासिल कर सकें। 

 

ऐसे में नॉमिनी वह रकम ले सकते हैं। याचिका में राजिंद्र हुड्डा की अन्य किसी चल-अचल संपत्ति की जानकारी नहीं दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि राजिंद्र हुड्डा की मां जीवित हैं। ऐसे में सिर्फ याचिकाकर्ता राजिंद्र हुड्डा की पूरी प्रॉपर्टी के हकदार नहीं हैं। राजिंद्र सिंह हुड्डा की कार उत्तराखंड में एक नदी में बह गई थी जिसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला था। उनके अलावा सभी कार सवारों को बचा लिया गया था। उनके साथ दूसरी कार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी थे। 

 

नदी के तेज बहाव में बह गई थी कार :

याचिका में रेणु हुड्डा ने कहा कि उनकी राजिंद्र सिंह हुड्डा से 3 फरवरी, 1990 को शादी हुई थी। उनके दो बच्चे हुए। राजिंद्र सिंह हुडा अपने चचेरे भाई व तत्कालीन विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व 7-8 अन्य लोगों जिनमें कांस्टेबल प्रदीप कुमार, अमरनाथ, अमरजीत सिंह अहलावत, वाई.पी. गुप्ता, विक्रमजीत, जगदेव मलिक, राजिंद्र सिंह व खुशी राम हरिद्वार (उत्तराखंड) से हरियाणा नंबर की दो गाडिय़ों में वापिस आ रहे थे। जब राजिंद्र सिंह हुड्डा की कार पीपली नदी (गांव श्यामपुर, हरिद्वार) क्रॉस करने की कोशिश कर रही थी तो पानी के तेज बहाव में बह गई। कांस्टेबल प्रदीप किसी तरह बाहर आया और स्थानीय पुलिस को घटना की जानकारी दी। मामले में उत्तराखंड पुलिस ने डी.डी.आर. दर्ज कर सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान वाई.पी. गुप्ता व राजिंद्र सिंह हुड्डा को छोड़ कार में बैठे सभी लोग मिल गए और उन्हें बचा लिया गया। वाई.पी. गुप्ता दो दिन बाद मिले जबकि राजिंद्र सिंह का कोई सुराग नहीं लगा। 

 

एल.आई.सी. में करवा रखी थी 5 पॉलिसी :

राजिंद्र हुड्डा ने एल.आई.सी. की 5 पॉलिसी ले रखी थी। याचिकाकर्ता 24 सितंबर, 2010 को एल.आई.सी. के चंडीगढ़ ऑफिस पहुंचे और संबंधित पॉलिसी की रकम डबल एक्सिडैंट बेनिफिट के साथ मांगी। इस पर एल.आई.सी. ने यह कहते हुए मना कर दिया कि पहले कोर्ट से आदेश लेकर आएं। सुनवाई के दौरान एल.आई.सी. समेत मिसरी देवी को पब्लिकेशन के लिए नोटिस भेजे गए मगर किसी के पेश न होने पर कोर्ट ने इन्हें एक्स पार्टी घोषित कर दिया।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News