बड़े नामों से असली प्रभाव तक: ब्रांड अब इन्फ्लुएंसर कैंपेन को नए तरीके से सोच रहे हैं

punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 11:54 AM (IST)

चंडीगढ़। ब्रांड और क्रिएटर्स के रिश्ते में बदलाव अब साफ़ दिखने लगा है। जहां पहले ब्रांड्स सिर्फ़ ज्यादा फॉलोअर्स वाले क्रिएटर्स के पीछे भागते थे, अब वो उन लोगों को तलाश रहे हैं जिनसे उनका जुड़ाव असली हो। ऐसे क्रिएटर्स जिनकी कम्युनिटी उन पर भरोसा करती है और जिनसे वो जुड़ाव महसूस करती है, वही आज ब्रांड्स की पहली पसंद बन रहे हैं। क्योंकि अब ये साफ़ हो चुका है कि असली असर लाने के लिए ज़रूरी है अच्छा एंगेजमेंट, विषय में विशेषज्ञता और जुनून से भरा समुदाय।
फॉलोअर्स भी अब पहले से ज्यादा समझदार और सूझबूझ वाले हो गए हैं। वो उन्हीं क्रिएटर्स की ओर आकर्षित होते हैं जो सच्चे और भरोसेमंद लगते हैं। अब सिर्फ़ बड़ी फॉलोइंग वाले ही आगे नहीं हैं। आपके कंटेंट को जो शुरुआती रिस्पॉन्स मिलता है, वही अहमियत रखता है — फॉलोअर्स की संख्या नहीं।
ब्रांड्स को इस बदलाव को समझाने और अपनाने में मदद कर रहे हैं मोहित खरबंदा — एक अनुभवी कम्युनिकेशन और ब्रांडिंग प्रोफेशनल, जिनके पास 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के साथ काम कर चुके मोहित अब एक एंटरप्रेन्योर के रूप में अपने क्रिएटिव एजेंसी एनेकडॉट कल्चर स्टूडियो का संचालन कर रहे हैं, जो दिल्ली में स्थित है और जिसकी टीमें पेरिस और न्यूयॉर्क में भी हैं। ये एजेंसी पारंपरिक इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग से आगे बढ़कर काम करती है।
मोहित कहते हैं, “स्क्रिप्टेड, दिखावे वाले ब्रांडेड ऐड्स का दौर अब चला गया है। आज लोग असली कहानियाँ सुनना चाहते हैं, ऐसी आवाजें जो उनके जैसे हों, जिन पर वो भरोसा कर सकें।”
इस सोच की शुरुआत मोहित के रॉयल एनफील्ड में कार्यकाल से हुई, जहां उन्होंने ‘क्रिएटर कल्चर स्टूडियो’ नाम की एक यूनिट बनाई। मोहित के अनुसार, रॉयल एनफील्ड जैसे ब्रांड के लिए कहानी सिर्फ़ मोटरसाइकिल की नहीं हो सकती। वह उपभोक्ताओं के पैशन प्वाइंट्स को छूने की बात करते हैं — जैसे ट्रैवलर, एडवेंचरर, कस्टम बाइक बिल्डर और बाइकर्स की कम्युनिटी। प्रोडक्ट की कहानी से ज़्यादा अहमियत उस संस्कृति की कहानी को है, जो ब्रांड ने लोगों के बीच बनाई है। वही कहानी लोगों के दिलों से जुड़ती है और ब्रांड से अपनापन पैदा करती है।
एनेकडॉट में मोहित और उनकी टीम ब्रांड्स को ऐसे ही इंसानी और सांस्कृतिक जुड़ाव की कहानियों के ज़रिए आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। उनके कैंपेन केवल बड़े नामों पर निर्भर नहीं करते, बल्कि ऐसे ब्रांड एंबेसडर्स को खोजते हैं जिनकी कोई खास पहचान है — जैसे किसी बाइकर्स कम्युनिटी में मशहूर मेकैनिक या किसी छोटे शहर का कलाकार, जिसकी पर्सनैलिटी और स्टाइल ब्रांड से मेल खाती हो। ऐसे लोग असली होते हैं, भरोसेमंद होते हैं और इसलिए लोगों से गहराई से जुड़ते हैं।
इसी सोच के साथ मार्केट में ब्रांड और क्रिएटर्स के रिश्ते भी बदल रहे हैं। अब एक बार के लिए बनाए गए कंटेंट की बजाय लंबे समय के लिए साझेदारी की जा रही है।

ब्रांड्स अब छोटे और क्षेत्रीय क्रिएटर्स में निवेश कर रहे हैं, जो ब्रांड की सोच को समझते हैं और लंबे समय तक जुड़ाव बनाए रखते हैं।
मोहित इसे इस तरह समझाते हैं: “आज ब्रांड बनाना सिर्फ़ प्रोडक्ट की बात नहीं है — ये लोगों को अपनी कहानी में शामिल करने की बात है। जब लोग ब्रांड की कहानी का हिस्सा महसूस करते हैं, तो उस पर भरोसा करते हैं।”
ब्रांड्स और मार्केटर्स के लिए संदेश साफ़ है — सबसे ज़्यादा बोलने से फर्क नहीं पड़ता, फर्क इस बात से पड़ता है कि आप सही लोगों तक पहुँच रहे हैं या नहीं।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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