अब बुजुर्गों की टूटी हड्डियों को जोडऩा होगा आसान

punjabkesari.in Sunday, Sep 17, 2017 - 11:50 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : बुजुर्गों की हड्डियों को मजबूत बनाने के फार्मूला पर आज देश भर के आर्थोपैडिक सर्जन्स ने मंथन किया। कमजोर होने की वजह से बुजुर्गों के बोन फ्रैक्चर्स को दुरुस्त करना आसान नहीं है। कमजोर हड्डियां नरम हो चुकी होती हैं इसलिए उन पर स्क्रू नहीं लग सकते हैं। अब डाक्टर्स ने हड्डियों को स्क्रू करने से पहले मजबूती देने का फैसला किया है। 

 

जेरिएट्रिक आर्थोपैडिक सोसायटी ऑफ इंडिया (गोसीकॉन) द्वारा आयोजित संगोष्ठी के समापन पर सर्जन्स ने कहा कि अब बुजुर्गों के बोन फ्रैक्चर्स का इलाज आसानी से किया जा सकेगा क्योंकि अब फ्रैक्चर बोन्स को स्क्रू करने के पहले कैल्शियम, विटामिन -डी, हार्मोनल दवाओं और इंजैक्शन से मजबूत बनाया जाएगा। सर्जन्स ने यह भी कहा कि बुजुर्गों के लिए कैल्शियम बैंक रामबाण बन सकता है। 

 

30 की उम्र में ही कैल्शियम बैंक की आधारशिला अपनी बॉडी में रखना शुरू कर देनी चाहिए। एक दिन में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करने वाले शरीर में कैल्शियम बैंक बनना शुरु हो जाता है। हर रोज तीन गिलास दूध, पनीर, अंडा, दही और एक ग्राम प्रोटीन को बॉडी में डिपोजिट करने वाले व्यक्ति को बुढ़ापे में पहुंचने पर बॉडी में जमा कैल्शियम का लाभ मिलेगा। अगर हड्डियों को मजबूती देनी है तो सप्ताह के 5 दिन नियमित तौर पर वॉक करें। यह बात सर्जन्स ने कही। 

 

सर्जन्स ने कहा कि 30 साल की उम्र के बाद शरीर की हड्डियों से कैल्शियम निकलकर ब्लड में मिलने लगता है। हड्डियों से निकलने वाले कैल्शियम, हड्डियों को कमजोर बना देता है। 65 साल की उम्र के बाद हड्डियों में फ्रैक्चर होने लगते हैं परंतु बुजुर्गों की हड्डियों को फिक्स करना आसान नहीं होता, क्योंकि हड्डियां नरम हो चुकी होती हैं।  

 

ज्यादा जरूरी बुजुर्गों को गिरने से बचाया जाए :
पी.जी.आई. के आर्थोपैडिक एक्सपर्ट डॉ. विजय गोनी का कहना है कि बुजुर्गों में बोन फ्रैक्चर के केसेज ज्यादा सामने आ रहे हैं। बुजुर्ग बाथरूम और घर में गिर जाते हैं और उन्हें संभालने के लिए घर में कोई भी नहीं होता है। अगर बुजुर्गों को फिट रखना है तो यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि बुजुर्गों को गिरने से बचाया जाए। 

 

सर्जन डॉ. शिवशंकर ने कहा कि पहले डाक्टर्स बुजुर्गों के बोन या हिप फ्रैक्चर्स के लिए सिर्फ दवाएं ही देते क्योंकि बोन को स्क्रू करना चुनौतीपूर्ण रहता था परंतु अब बोन फ्रैक्चर्स का ट्रीटमैंट किया जा सकेगा। फर्क सिर्फ इतना रहेगा कि युवाओं के फ्रैक्चर को साधारण तौर पर स्क्रू की मदद से या सीमेंट से जोड़ दिया जाता है परंतु अब बुजुर्गों की टूटी हड्डियों को जोडऩे के लिए अतिरिक्त ट्रीटमैंट दिया जाएगा। पहले बोन को मजबूती दी जाएगी और उसके बाद ट्रीटमैंट दिया जाएगा। 


बैंगलूरू के आर्थोपैडिक सर्जन डॉ. श्रीकांत ने कहा कि बुजुर्ग अकेलेपन की वजह से डिप्रेशन में भी होते हैं इसलिए उनका शरीर इलाज मिलने पर भी बेटर रिएक्ट नहीं करता है। अगर बुजुर्ग अकेलेपन से लडऩा सीख जाएं और खाली वक्त में अपनी पसंदीदा चीजें करें तो वह प्रसन्न भी रहेंगे और उनकी बॉडी बीमारी से भी दूर रहेगी। फोर्टिस के सर्जन डॉ. रमेश सेन ने कहा कि बुजुर्गों का अकेले रहना खतरनाक साबित हो रहा है। ऐसा देखने में आ रहा है कि बुजुर्गों के घर में उन्हें गिरने से रोकने वाला कोई भी नहीं है। बुजुर्गों को अगर गिरने से बचाया जाए तो बहुत बड़ी समस्या हल हो सकती है। 

 

डॉ.सेन का कहना है कि बुजुर्ग खुद को समाज से अलग समझने लगते हैं क्योंकि परिवार अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त होता है और उनके दर्द को सुनने वाला कोई उनके पास नहीं होता ऐसे में उन्हें न सिर्फ कमजोर हड्डियां बल्कि मानसिक परेशानी, शुगर, हाई ब्लड प्रैशर आदि कई प्रॉब्लम परेशानी करती है। पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ. संजय बडाडा ने कहा कि बुजुर्गों को अपने खाने पीने के साथ सैर पर ध्यान देना चाहिए। 
 


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