बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ चंडीगढ़ ने फर्टिलिटी संबंधी बातचीत को सामान्य बनाने और आसान केयर प्रदान करने के दो साल पूरे किए
punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 10:22 AM (IST)

चंडीगढ़। बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, भारत का तीसरा सबसे बड़ा आईवीएफ नेटवर्क ने, अपने चंडीगढ़ सेंटर की दूसरी वर्षगांठ मनाई। इस दौरान उन परिवारों को आमंत्रित किया गया, जिनके माता-पिता बनने का सपना इस सेंटर में साकार हुए। समारोह में दम्पतियों ने सेंटर में अपने मां-बाप बनने के कठिन लेकिन प्रेरक सफर के अनुभव को भी साझा किया। उन सभी ने सेंटर की पर्सनलाइज्ड, संवेदनशील और क्लीनिकली एडवांस्ड केयर को भी सराहा और पूरे स्टाफ के प्रति आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाले सी के बिरला ग्रुप का हिस्सा है।
अपनी शुरुआत से ही, सेंटर न सिर्फ ट्रीटमेंट के लिए बल्कि स्पष्टता के लिए भी एक जाना-माना सेंटर बन गया है। अवेयरनेस सेशंस, फर्टिलिटी चैक-अप कैम्पस और ट्राई-सिटी और पड़ोसी राज्यों में ओपन कंसल्टेशंस के माध्यम से, चंडीगढ़ टीम ने हजारों लोगों को उनके रीप्रोडक्टिव हेल्थ को बेहतर ढंग से समझने में मदद की है। ये भी देखा गया कि इससे पहले उन्होंने आईवीएफ के बारे में सोचा भी नहीं था, तब सेंटर ने उनको इस बारे में विस्तार से बताया। टीम ने इस उपलब्धि का उपयोग उन दम्पतियों से फिर से जुड़ने के लिए किया, जो पहली बार फैसला लेने के बजाय सवालों के साथ आए थे। कई लोगों ने बताया कि कैसे इन शुरुआती बातचीत ने उन्हें अपने फर्टिलिटी विकल्पों को अधिक आत्मविश्वास और कम भ्रम के साथ समझने और उनका फायदा लेने में मदद की।
2023 में खुलने के बाद से, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ चंडीगढ़ ने फर्टिलिटी क्षमता के बारे में स्पष्टता चाहने वाले व्यक्तियों और दम्पतियों की बढ़ती संख्या की हमेशा मदद की है। एक ही जगह पर डायग्नोस्टिक्स और ट्रीटमेंट की ऑफर करके, सेंटर पूरे उत्तर भारत में दम्पतियों के लिए एक प्रेक्टिकल विकल्प बन गया है। पिछले दो वर्षों में, इसने यूके, यूएस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी दम्पतियों को आकर्षित किया है - जो इसकी क्लीनिकल एप्रोच और आसानी से प्रदान किए जाने वाले सुविधाओं को भी दर्शाता है।
इस अवसर पर बात करते हुए, अभिषेक अग्रवाल, सीईओ, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने कहा कि "हमें अपने चंडीगढ़ सेंटर की सफलता के दो साल पूरे होने का जश्न मनाने पर बेहद गर्व है। यहां प्राप्त किए जा रहे शानदार परिणाम हमारी मूल फिलॉसिफी - 'ऑल हार्ट, ऑल साइंस' का प्रतीक हैं। हम अपने सेंटर्स पर अपनी क्लीनिकल विशेषज्ञता को पारदर्शिता और करुणा के साथ जोड़ते हैं। जैसे-जैसे हम पूरे देश में विस्तार कर रहे हैं, हमारा ध्यान और लक्ष्य मजबूत बना हुआ है। हम फर्टिलिटी केयर को हमारे पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति या दम्पति के लिए अधिक आसान, किफ़ायती और व्यक्तिगत बनाने में जुटे हुए हैं।"
डॉ. राखी गोयल, सेंटर हेड और सीनियर कंसल्टेंट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, चंडीगढ़ ने बताया कि “इन दो सालों में हमने सिर्फ़ इलाज पर ही नहीं, बल्कि जागरूकता पर भी काफी ध्यान दिया है। हमने गाइनोकॉलोजिस्ट्स और लोकल क्लीनिक्स के साथ कई टॉक्स और सेशंस आयोजित किए हैं, ताकि लोगों को यह समझने में मदद मिल सके कि कब मदद लेनी है और किन संकेतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। इससे बहुत फ़र्क पड़ा है - अब हम देखते हैं कि ज़्यादा दम्पति, देरी करने की बजाए सही समय पर आ रहे हैं। वे कभी-कभी सिर्फ़ अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए भी आ रहे हैं। यहां हम जो आम चिंताएं अधिक संख्या देखते हैं, उनमें कम ए एम एच शामिल है, ख़ास तौर पर 30 और 40 की उम्र वाली महिलाओं में, साथ ही एंडोमेट्रियोसिस में वृद्धि भी देखी जा रही है। हमने कम उम्र की महिलाओं में भी ओविरयन रिवर्ज क्षमता कम देखी है, जो चिंताजनक है। कई दम्पति किसी अन्य सेंटर में आईवीएफ प्रयासों के विफल होने के बाद हमारे पास आते हैं और अक्सर उन्हें नहीं पता होता कि गलत क्या हुआ।”
उन्होंने कहा कि “हमारा ध्यान हमेशा विस्तृत टेस्टिंग के माध्यम से मूल कारण का पता लगाने, एक व्यक्तिगत योजना बनाने और दम्पति को पूरे समय सहायता प्रदान करने पर रहता है। इस दौरान न केवल मेडिकली तौर पर, बल्कि डाइट, मेंटल हेल्थ सपोर्ट और स्वस्थ गर्भावस्था की तैयारी के माध्यम से भी हर समय केयर और सहायता प्रदान की जाती है।"
क्लीनिकल विश्वसनीयता, पारदर्शिता और पेशेंट-फर्स्ट केयर के प्रिंसिपल्स पर कार्यरत, चंडीगढ़ सेंटर एक ही लोकेशन पर व्यापक फर्टिलिटी सॉल्यूशंस प्रदान करता है। इनमें आईवीएफ, आईसीएसआई, आईयूआई, फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन (एग एंड स्पर्म फ्रीजिंग), डोनर प्रोग्राम, एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक प्रोसिजर्स और काउंसलिंग सपोर्ट शामिल हैं।
फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के अलावा, सेंटर पीसीओएस, सर्वीकल कैंसर स्क्रीनिंग और सैक्सुअल हेल्थ और वेलनेस के लिए स्पेशलाइज्ड क्लीनिक भी चलाता है। इसमें व्यक्तियों को हर चरण में अपने रीप्रोडक्टिव हेल्थ की जिम्मेदारी लेने में मदद करता है। प्रत्येक मामले के साथ, टीम सही शुरुआती प्वाइंट की पहचान करने, स्पष्ट विकल्प प्रदान करने और ट्रीटमेंट प्लान्स को डिजाइन करने पर ध्यान केंद्रित करती है, जो मेडिकल आवश्यकताओं और व्यक्तिगत परिस्थितियों दोनों के साथ संतुलन बनाए रखती हैं।
कई आईवीएफ विफलताओं पर काबू पाना: मजबूती और सटीकता का सफर
बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, चंडीगढ़ में माता-पिता बनने के अपने सपने को साकार करने वाले दम्पतियों में से एक ने सेंटर में आने से पहले तीन असफल आईवीएफ साइकिल्स का सामना किया था।
साढ़े पांच साल से शादीशुदा इस जोड़े का फर्टिलिटी हिस्टरी जटिल थी। महिला को एंडोमेट्रियोसिस, एडेनोमायसिस और एक यूनिकॉर्नुएट गर्भाशय (अविकसित गर्भाशय) का डायग्नोसिस किया गया था, जबकि पति को टेराटोज़ोस्पर्मिया (एक ऐसी स्थिति जिसमें शुक्राणुओं का एक बड़ा प्रतिशत असामान्य आकार का होता है) और एलीवेटेड स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन था। अपने पहले के आईवीएफ प्रयासों में से एक में, दम्पति ने गर्भधारण किया था, लेकिन गर्भनाल के अचानक बंद हो जाने के कारण गर्भावस्था 22 सप्ताह में समाप्त हो गई, जिसके कारण इमरजेंसी हिस्टेरोटॉमी की आवश्यकता पड़ी।
उन्होंने गहन और विस्तृत जांच और मूल्यांकन और नए ट्रीटमेंट एप्रोच के लिए चंडीगढ़ के बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ में डॉ. राखी गोयल और टीम से संपर्क किया। काफी विस्तृत डायग्नोस्टिक्स के बाद, एक व्यक्तिगत योजना बनाई गई, और दम्पति ने डोनर एग्गस का विकल्प चुना, जिसके परिणामस्वरूप छह हाई क्वालिटी वाले एम्ब्रयोज प्राप्त हुए।
एम्ब्रयो ट्रांसफर स्थानांतरण से पहले, लाइफस्टाइल में बदलाव और मेडिकल सपोर्ट के माध्यम से महिला के ब्लडप्रेशर को कंट्रोल में लाया गया। एडेनोमायसिस की मौजूदगी को देखते हुए, यूट्रिन लाइनिंग को तैयार करने के लिए थ्री-डोज डाउनरेगुलेशन प्रोटोकॉल का उपयोग किया गया। फिर एक सिंगल, अच्छी क्वालिटी वाले दिन-5 ब्लास्टोसिस्ट को वैकल्पिक रूप से स्थानांतरित किया गया।
गर्भावस्था की बारीकी से निगरानी की गई और दम्पति ने 34 सप्ताह के गर्भ में एक स्वस्थ लड़के का स्वागत किया। यह मामला दर्शाता है कि डायग्नोसिस से लेकर डिलीवरी तक एक स्ट्रक्चर्ड, व्यक्तिगत एप्रोच कैसे पॉजिटिव रिजल्ट्स दे सकता है। यहां तक कि मेडिकली तौर पर जटिल स्थितियों में भी सफलता हासिल की गई।