पांच डोमैस्टिक बर्ड्स की मौत के बाद सुखना लेक सहित सैक्टर-4 सर्विलैंस पर

punjabkesari.in Saturday, Oct 22, 2016 - 09:44 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : डेंगू से राहत पाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी इंतजार कर रहे थे कि कब मौसम में बदलाव आए और इस बीमारी से बढऩे वाले मरीजों की संख्या में विराम लग सके। लेकिन जैसे ही सर्दी ने शहर में दस्तक दी तो अब बर्ड फ्लू की दहशत से प्रशासनिक अधिकारियों की हाथ-पांव फूलने शुरू हो गए हैं। कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अब वीरवार को हुई पांच पक्षियों की मौत ने चंडीगढ़ प्रशासन की नींद उड़ा दी है। 


सैक्टर-4 में मरे मिले इन बर्ड्स को लेकर पहले तो कर्मचारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई लेकिन शुक्रवार सुबह ही अधिकारियों ने इन सबको रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी जालंधर में भेज दिया। यही नहीं, प्रशासन ने शुक्रवार को इस सारे एरिया में सर्विलैंस भी तेज करने के ऑर्डर जारी कर दिए। इसमें सुखना लेक का एरिया भी शामिल है ताकि यह जानकारी हासिल की जा सके कि कोई अन्य बर्ड आकस्मिक मौत की चपेट में तो नहीं पाया गया। अधिकारियों की मानें तो आने वाले दो दिनों में जालंधर लैबोरेटरी के नतीजे आ जाएंगे, जिसके बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी। यही नहीं, फॉरैस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने एहतियात के तौर पर अपने सभी कर्मचारियों को निर्देश दे दिए हैं कि सुखना लेक और इसके आसपास के एरिया में भी खासतौर से नजर रखी जाए।


सुखना के पानी के सैंपल भेजे :
शहर में बर्ड फ्लू से संबंधित अलर्ट बजने के साथ ही यू.टी. के एनिमल एंड हजबैंड्री डिपार्टमैंट ने भी अपनी ओर से सभी प्रकार एहतियातन कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। डिपार्टमैंट द्वारा कुछ दिन पहले ही लेक के पानी के सैंपल एकत्रित करके लैबोरेटरी में भेज दिए गए हैं। यही नहीं, डिपार्टमैंट के अधिकारियों ने बताया कि इस मौसम में लेक के सैंपल लेना इसलिए भी जरूरत था क्योंकि पिछली बार इसी समय बर्ड फ्लू ने शहर में दस्तक दी थी।


पोल्ट्री फॉर्म भी सर्विलैंस पर :
एनिमल एंड हस्बैंड्री डिपार्टमैंट ने शहर और इसकी आसपास की सभी पोल्ट्री फॉर्म पर भी सर्विलैंस तेज कर दी है। डिपार्टमैंट द्वारा पोल्ट्री फॉर्म के सैंपल एकत्रित करके उन्हें भी जांच के लिए लैबोरेटरी भेज दिया है। अब डिपार्टमैंट इंतजार कर रहा है कि लैब के सैंपल आने के बाद क्या एक्शन लिया जाए। वहीं, इस व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों का भी कहना है कि पिछले कुछ दिनों में बर्ड फ्लू की दहशत से शहर में अंडे और चिकन की सेल में कमी आई है।


2014 में फैली थी दहशत :
चंडीगढ़ में पहली बार बर्ड फ्लू ने 2014 में दहशत फैलाई थी। हालांकि तब डोमैस्टिक डक्स को इसका कारण बताया गया था। सैंपल जब भोपाल की लैबोरेटरी में भेजे गए तो इसकी पुष्टि हुई कि इनमें बर्ड फ्लू के लक्षण पाए गए हैं। इसके बाद सुखना लेक के बीच बने आईलैंड में इन्हें मार दिया गया था। इसके बाद से ही सुखना लेक में किसी भी डोमैस्टिक बर्ड्स को रखने पर रोक लगा दी गई है। 


अब डैथ हुई तो नोटिफाई होगा एरिया :
प्रशासन के पास शुक्रवार को पूरा दिन शहर से कहीं भी किसी बर्ड के मिलने की खबर नहीं पहुंची थी लेकिन अधिकारी अपनी ओर से पूरी तरह सचेत हैं और यह भी फैसला लिया जा चुका है कि अब अगर फिर से सैक्टर-4 या उसके आसपास किसी बर्ड की इसी प्रकार से मौत होती है तो उस एरिया को नोटिफाई कर लिया जाएगा और वहां सर्विलैंस और तेज कर दी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि जिन पक्षियों की मौत हुई है वे सारी गौरेया थी।


साइबेरियन बर्ड्स के लिए जाएंगे सैंपल :
अधिकारी इस समय विदेशों से आने वाली माइग्रेटरी बर्ड्स का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल आने वाले 15 से 20 दिनों के भीतर शहर में साइबेरियन बर्ड्स  के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। एनिमल एंड हस्बैंड्री डिपार्टमैंट के अधिकारियों की मानें तो माइग्रेटरी बर्ड्स के आते ही उनके सैंपल भी एकत्रित कर लिए जाएंगे। इन सैंपल को भी लैबोरेटरी में भेज दिया जाएगा, जहां यह पुष्टि हो सके कि इन बर्ड्स में किसी प्रकार की बीमारी तो नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि नियम के अनुसार माइग्रेटरी बर्ड्स को पकड़ा नहीं जा सकता है इसलिए सैंपल केवल उनकी बीट और लार के लिए जाएंगे।


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