बायोनैस्ट ने दी 2.5 करोड़ की ग्रांट, 5 नए उद्यमियों को मिलेगा स्टार्टअप का मौका
punjabkesari.in Tuesday, May 22, 2018 - 11:26 AM (IST)
चंडीगढ़ (हंस): पंजाब यूनिवर्सिटी की तरफ से पांच नए उद्यमियों को स्टार्ट अप के तहत कैंपस में उद्यम शुरू करने का मौका दिया जाएगा। इसमें बायोनैस्ट के पहले फेज में अंडर सैकेंडरी एग्रीकल्चर, फूड प्रोसैसिंग एंटरैप्रन्योर्स नैटवर्क इन पंजाब स्थापित होगा।
बाईरेक ने हाल ही में इसके लिए 2.5 करोड़ रुपए बतौर फंड दिए हैं। इससे नए उद्यमियों को व पी.यू में स्टूडैंट्स को सैकेंडरी एग्रीक्लचर फील्ड में काम करने का मौका मिलेगा।
दिए गए फंड में से 5 स्टार्टअप शुरू करने वाले प्रत्येक उद्यमी को 50-50 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। प्रोजैक्ट का मकसद पंजाब और इसके आसपास के क्षेत्रों में कृषि पर ध्यान केंद्रित करना है।
कलस्टर इन्क्यूबेशन सैंटर (सी.आई.सी.)भी बाईरैक ने सैंक्शन किया गया है। इनोवेटिव टैक्नोलॉजी बिल्डिंग एवं कैपिसिटी बिल्डिंग प्लेटफार्म भी मुहैया करवाएगा, जिसके लिए पी.यू. ने 12,500 स्क्वेटयर फीट जगह दी है।
बायो-इन्क्यबेटर नर्चरिंग एंटरप्रैन्यिोरशिप फॉर स्केलिंग टैक्नोलॉजिस (बायोनैस्ट) पी.यू. ने बायोटैक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च अस्सिटैंस काऊंसिल (बॅाइरैक) लांच किया। बायोटैक्नोलॉजी इनोवेशन ईकोसिस्ट्म के तहत देश में 30 बायोइन्क्यूबेटर लांच किए हैं, जिनमें से पी.यू. में एक है।
माईक्रोबल बायोटैक्नोलॉजी डिपार्टेमैंट के चेयरमैन डा. रोहित शर्मा ने बताया कि बायोनैस्ट के तहत अब तक विभाग को 14 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल चुके हैं, जबकि कार्पोरेट ने भी 30-30 लाख की ग्रांट दी है।
डा. रोहित ने कहा कि वी.सी. प्रो. अरुण ग्रोवर का सपना पी.यू. को अकादमिक सिस्टम के साथ टैक्नोलॉजी का बायोइन्क्यूबेटर बनाने का है। बाईरेक ने इसके लिए 411.64 लाख रुपए सैंक्शन किए हैं।
एग्रीकल्चर फील्ड पर बायोनैस्ट का फोकस
डा. रोहित ने बताया कि शिवांशी वशिष्ठ, शालू गोयल और डा. वंदिता अब तक अपने स्र्टाटअप शुरू कर चुकी हैं। डा. वंदिता पिछले साल ने नैशनल इगनिशन ग्रांट के लिए जो प्रोजैक्ट पेश किए थे, उसमें वह चौथे स्थान पर रही थीं।
उन्हें 50 लाख रुपए की ग्रांट मिली। इस बार पी.यू. से शिवांशी और प्रो.एम.एल. गर्ग को नैशनल इनिगेशन ग्रांट मिली है। पी.जी.आई. से डा. विकास को इसके लिए चुना है।
सूक्षम जीव रखने वाला उपकरण बनाया
शिवांशी वशिष्ठ ने ऐसा उपकरण बनाया है जिसमें टैम्प्रेचर कंट्रोल कर सूक्षम जीव रखे जा सकते हैं। इस समय वह सूक्षम जीवों से मिलने वाले एंजाइम प्रयोग कर प्रोडकशन की हाई वैल्यू बढ़ाने पर काम कर रहीं है।
बायोडीजल भी बनाया जा रहा
कोमल शर्मा के मुताबिक माईक्रो अलगी(काई) से फोटो बोयरिएकटर बनाए जा रहे हैं जो इकोनॉमिकल प्रोटोकोल के तहत बनाए जा रहे हैं। यानि ये सोलर लाईट पैनल से जरूरी एनर्जी ही प्रयोग करेंगे और ज्यादा बायोमास अचीव करेंगे।
इसके अलावा बॅायोडीजल भी बनाया जा रहा है। इस बॉयोडीजल को कम तापमन पर रखने की जरूरत नहीं है जैसे परंपरागत डीजल को रखा जाता है।
कैंसर से बचाव के लिए दवाई
कैंसर से बचाव के लिए आयुर्वैदिक दवाई बनाई जा रही है। शालू अर्जुना और प्राईड नाम के दो पौधों के कम्पाऊंड से कैंसर की बीमारी के लिए दवा बना रही हैं।