मोटर व्हीकल इंस्पैक्टरों की कार्यप्रणाली पर ऑडिट विभाग ने उठाए सवाल

Thursday, Apr 18, 2019 - 02:02 PM (IST)

चंडीगढ़ (राजिंद्र): स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एस.टी.ए.) की ऑडिट और इंस्पैक्शन रिपोर्ट में रोड टैक्स को लेकर चालान न करने पर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ऑफिस के अकाऊंट्स की इंस्पैक्शन में ये सामने आया है कि मोटर व्हीकल इंस्पैक्टर अन्य वायलेशन को लेकर तो चालान कर रहे हैं, लेकिन रोड टैक्स बकाया को लेकर वह चालान नहीं कर रहे हैं। 

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इंस्पैक्टर्स ने जिन लोगों के अन्य वायलेशन को लेकर चालान किए, उनका रोड टैक्स भी बकाया था। ये दर्शाता है कि ऐसे वाहनों के डॉक्यूमैंट्स सही रूप से चैक नहीं किए गए। 

 

उन्होंने कहा कि सिस्टम को विकसित करने की जरूरत है, ताकि एनुअल टैक्स की पेमैंट न करने पर डिफाल्टरों के चालान किए जा सकें। 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2018 तक सितम्बर 2018 में स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ऑफिस के अकाऊंट्स की इस इंस्पैक्शन में इन सब बातों का खुलासा हुआ है। 

 

रिपोर्ट के अनुसार सिस्टम मैंटेन करने की जरूरत है, ताकि सभी वायलेशन को लेकर डिफाल्टरों के चालान किए जा सकें। ऑडिट ने कुछ केसों का ही इसमें उदाहरण दिया है और विभाग को बोला है कि बाकी केसों की वह खुद ही जांच पड़ताल कर सकते हैं।

 

कई बेकार आइटम्स का नहीं किया निपटारा
रिपोर्ट में बेकार आइटम्स का निपटारा न करने पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चैकिंग के दौरान सामने आया कि विभाग के पास कई आइटम्स ऐसी हैं, जो बेकार पड़ी हैं, लेकिन बावजूद इसके अभी तक डिपार्टमैंट ने इन आइटम्स का निपटारा करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की। नियमों के तहत ऐसी आइटम्स जो बेकार पड़ी हैं, उनका कोई कारण देना होता है। 

 

डिपार्टमैंट इसके लिए कोई कमेटी भी गठित कर सकता है। ऐसी आइटम का निपटारा करते हुए उसके बुक वैल्यू, गाइडिंग प्राइज और रिजर्व प्राइज पर भी काम करना होता है। अगर कोई आइटम किसी सरकारी कर्मी की लापरवाही और धोखाधड़ी की वजह से बेकार होती है तो उसके लिए जिम्मेदारी भी तय करनी होती है। 

 

सर्विस बुक मैंटेन करने में अनियमितताएं आई सामने
रिपोर्ट में सर्विस बुक मैंटेन करने में भी अनियमितताएं बताई गई हैं। स्टाफ की सर्विस बुक की चैकिंग में सामने आया है कि अधिकतम केसों में सरकारी कर्मचारियों की फोटो फटी हुई और पुरानी थी। कई केसों में फोटो फिक्स भी नहीं की हुई थी। 

 

नियमों के तहत कर्मचारियों की लेटेस्ट फोटो हर 10 साल बाद चेंज करनी होती है। साथ ही सर्विस  बुक के फस्र्ट पेज पर जी.पी.एफ. और एन.पी.एस. नंबर एंटर नहीं किया गया था। साथ ही अधिकतम केसों में लीव अकाऊंट मैंटेन नहीं किया गया और आधार नंबर भी एंटर नहीं किया गया। 

 

साथ ही अथॉरिटी और अन्य किसी सरकारी कर्मचारी ने सर्विस बुक की समय-समय पर समीक्षा नहीं की और स्टाफ की सर्विस बुक के फस्र्ट पेज पर अधिकतम केसों में शब्दों में डेट ऑफ बर्थ एंटर नहीं की गई।


 

pooja verma

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