हरियाणा रहेगा योगेंद्र की राजनीति का केंद्रबिंदु!

Sunday, Mar 29, 2015 - 03:35 AM (IST)

चंडीगढ़ (अविनाश पांडेय): आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से छुट्टी के बाद अब हरियाणा में ‘आप’ की पार्टी विस्तार कवायद को झटका लग सकता है। वजह साफ है कि हरियाणा के रहने वाले योगेंद्र यादव का मुख्य फोकस हरियाणा पर रहना तय माना जा रहा है। 

पार्टी में योगेंद्र का विवाद की एक वजह भी हरियाणा रही है, ऐसे में अब इस नए फैसले के बाद सबसे अधिक हरियाणा की राजनीति प्रभावित होगी। योगेंद्र यादव के साथ पार्टी के जो नेता सामने आए हैं उनमें सबसे अधिक हरियाणा से ही संबंधित हैं। 

गौरतलब है कि योगेंद्र यादव पिछले कई दिनों से जिन मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे उनमें एक मुख्य मांग नवीन जयङ्क्षहद मुक्त हरियाणा की थी। यादव ने पिछले वर्ष गुडग़ांव से लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें करीब एक लाख वोट मिले थे। हरियाणा में पिछले लंबे समय से आम आदमी पार्टी में योगेंद्र यादव तथा नवीन जयहिंद के गुट सक्रिय थे। दोनों नेता अलग-अलग एजैंडे पर राजनीति कर रहे थे। 

 
गत दिवस नवीन जयहिंद ने बाकायदा एक सूची जारी करके कहा था कि योगेंद्र यादव यू.पी.ए. सरकार के कार्यकाल में 25 समितियों के सदस्य थे। आज जब दिल्ली में योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने का निर्णय लिया गया तो उनके साथ जो लोग बाहर आए हैं उनमें ज्यादातर नेता हरियाणा से संबंधित हैं। यादव के साथ पार्टी की हरियाणा इकाई से परमजीत सिंह, पार्टी प्रवक्ता राजीव गोदारा, यमुनानगर जिला संयोजक वालिया तथा मेवात के नेता रमजान चौधरी मुख्य है। इन सभी नेताओं का हरियाणा के साथ सीधा संपर्क रहा है। 

सूत्रों की मानें तो योगेंद्र यादव को बाहर किए जाने के बाद लंबे समय तक हरियाणा के बारे में ही चर्चा हुई है। क्योंकि हरियाणा में इस समय नवीन जयहिंद को छोड़ कर अन्य कोई बड़ा नेता नहीं रहा है। जयङ्क्षहद भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। आम आदमी पार्टी का दिल्ली के बाद पहला लक्ष्य हरियाणा रहा है। क्योंकि अरविंद केजरीवाल हरियाणा के हैं तथा केजरीवाल मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्य हरियाणा से ही हैं। दूसरी तरफ बागी नेता योगेंद्र यादव की भी पहली पसंद हरियाणा ही रहा है। 
 
हरियाणा को लेकर योगेंद्र ने कई बार पार्टी द्वारा दी गई बड़ी जिम्मेदारियों को भी ठुकरा दिया था। अब बदले हुए हालातों में आम आदमी पार्टी को जहां हरियाणा में नया संगठन खड़ा करना पड़ेगा तो वहीं लोगों का खोया हुआ विश्वास भी बहाल करना होगा। दूसरी तरफ अगर योगेंद्र यादव कोई नया संगठन खड़ा करते हैं तो वह भी आम आदमी पार्टी की राह में रोड़ा बनते हुए हरियाणा में ही सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
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