क्यों सर्विस में मौजूद हैं नियुक्त कर्मचारी : हाईकोर्ट

Saturday, Feb 28, 2015 - 06:50 AM (IST)

चंडीगढ़ (विवेक शर्मा): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि 2004 में हुई 350 कांस्टेबल की भर्ती करने वाले अधिकारियों को सी.बी.आई. जांच में दोषी पाया जा चुका है तो आखिर अभी तक नियुक्त होने वाले सिपाहियों को सर्विस में क्यों बरकरार रखा गया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा है कि इन सिपाहियों की नौकरी पर सरकार अपना रुख स्पष्ट करते हुए अगली सुनवाई पर हलफनामा दाखिल करे। हाईकोर्ट के इस रवैये के चलते अब पिछले 11 साल से नौकरी कर रहे सिपाहियों की नौकरी जाना लगभग तय माना जा रहा है।

हरियाणा सरकार को अगली सुनवाई के दौरान इन सिपाहियों की नौकरी को जायज ठहराने वाले तथ्य का सिपाहियों को नौकरी से निकाले जाने के फरमान हाईकोर्ट में सौंपने होंगे। काबिलेगौर है कि मामला 2003 का है जब हरियाणा सरकार ने गवर्नमैंट रेलवे पुलिस और सशस्त्र बल की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती की पूरी प्रक्रिया दिसम्बर, 2003 तक पूरी कर ली गई थी और 9 जुलाई को भर्ती के लिए अभी चयनित लोगों को ज्वाइनिंग के लिए बुलाया गया था। इस सूची में नाम होने के बावजूद भी जब रेवाडी निवासी शैलेंद्र को यह कहते हुए ज्वाइन नहीं करवाया गया कि उनका नाम वेटिंग सूची में है उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

मामले में संदेह होने पर हाईकोर्ट ने इस मामले में सी.बी.आई. जांच के आदेश दिए थे। सी.बी.आई. ने अपनी जांच में पाया था कि भर्ती के दौरान बड़े स्तर पर धांधली हुई थी और सूची ही बदली दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिए थे कि इस धांधली के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाए। इस मामले में हाईकोर्ट ने अब यह स्पष्ट कर दिया गया कि सरकार सभी नियुक्त सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई करे और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो उस स्थिति में शैलेंद्र जैसे उन सभी लोगों का नौकरी का दावा स्वीकार किया जाए जो असल मैरिट लिस्ट के अनुसार नौकरी के लिए पात्र थे। मामले में 6 अप्रैल तक हरियाणा सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा। 
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