भाजपा से हाथ मिलाया तो सम्मान खो देंगे अमरेंद्र : हरीश रावत
punjabkesari.in Thursday, Oct 21, 2021 - 10:36 PM (IST)
चंडीगढ़, (हरिश्चंद्र): हरीश रावत एक साल एक महीना पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहने के बाद अब वापस गृह राज्य उत्तराखंड जाना चाहते हैं, जहां अगले साल की शुरूआत में ही विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। उनके 13 माह के बतौर प्रभारी कार्यकाल के दौरान पंजाब कांग्रेस ने ऐसी खींचतान देखी, जिसमें मुख्यमंत्री का इस्तीफा तक हुआ, नया प्रदेश प्रधान भी लगाया गया। इस पूरे घटनाक्रम को बेहद नजदीक से देखने वाले रावत की पंजाब में कांग्रेस को दोबारा चुनावी लड़ाई में वापस लाने में निभाई भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पंजाब केसरी से हरिश्चंद्र ने ताजा मसलों पर विस्तार से बात की, बातचीत के प्रमुख अंश :-
प्रश्न : पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने और यदि विवादित कृषि कानूनों का कोई हल निकलता है तो भारतीय जनता पार्टी के साथ सीटों को लेकर तालमेल करने की बात भी कही है, आपकी प्रतिक्रिया?
उत्तर : कै. अमरेंद्र सिंह यदि भाजपा के साथ जाते हैं तो वह पंजाब की जनता में सम्मान खो देंगे। जो व्यक्ति जीवन भर पार्टी में एकता की बात करता रहा, पार्टी में सभी को साथ लेकर चलने की बात करता था, वह उस दल के साथ कैसे तालमेल बिठाएगा जिसकी छवि पंजाब और किसान विरोधी हो। वह पंजाब की जनता को कैसे एक्सप्लेन करेंगे कि जिस सरकार में 600 से ज्यादा किसान मारे गए, 3 कुचल दिए गए, उस भाजपा के साथ हाथ क्यों मिलाया।
प्रश्न : क्या सच में अमरेंद्र से कांग्रेस को पंजाब में नुकसान हो रहा था या यह कुछ विधायकों की महत्वाकांक्षा से उपजी चर्चाएं थी?
उत्तर : पंजाब में यह धारणा आम थी कि कै. अमरेंद्र केंद्र की भाजपा सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। यह भी कहा जाता था कि राज्य में अकाली दल की सरकार चल रही है, ब्यूरोक्रेसी अकाली दल का कहना मानती थी। लोग ऐसा कहते थे मगर पार्टी नेतृत्व ने ऐसा कभी नहीं माना। मगर अब अमरेंद्र सिंह की बयानबाजी से यह धारणा सच साबित हुई है।
प्रश्न : आपका कहना है कि कैप्टन के मुख्यमंत्री रहते पार्टी का वोटबैंक खिसक रहा था, जनाधार में गिरावट आ रही थी?
उत्तर : पार्टी ने कुछ सर्वे करवाए थे, उसमें हालत बहुत खराब थी। इन सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी को बढ़त मिल रही थी और कई जगह अकाली दल बहुत आगे था। बरगाड़ी, बेअदबी आदि मामलों को लेकर भी हमारी स्थिति बेहद खराब थी। एक तरह से अमरेंद्र ने पार्टी को ऐसी हालत में पहुंचा दिया था, जिसमें पंजाब के इतिहास में वह कांग्रेस के आखिरी सी.एम. होते।
प्रश्न : अमरेंद्र मुख्यमंत्री थे मगर फैसले तो सरकार में सामूहिक रूप में लिए जाते हैं। सरकार से लोगों में नाराजगी थी तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सुधार के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए?
उत्तर : हमने सुधार की कोशिश की, 18 सूत्रीय प्रोग्राम दिया, जिसे चुनाव से पहले क्रियान्वित करना था या इन 18 मसलों को ठोस हल तक ले जाना था। मगर अमरेंद्र सिंह के खिलाफ विधायकों में नाराजगी बहुत थी। 43 विधायकों ने लिखकर कहा कि तुरंत विधायक दल की बैठक बुलाई जाए या फिर वह साथ छोड़ देंगे। हमने बैठक बुलाई, मैं खुद चंडीगढ़ पहुंचा मगर अमरेंद्र बैठक में विधायकों की बात का जवाब देने की बजाय इस्तीफा देने राजभवन पहुंच गए।
प्रश्न : पंजाब में अब नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ भी प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की पटरी नहीं बैठ रही, क्या इसका कांग्रेस की कारगुजारी पर असर नहीं पड़ेगा?
उत्तर : चन्नी के आने के बाद कांग्रेस के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है, हमारी परफॉर्मैंस बेहतर हुई है। कांग्रेस 2022 में पंजाब में दोबारा सत्ता में आएगी। यह चन्नी व सिद्धू पर भी निर्भर करता है क्योंकि दोनों मिलकर काम करेंगे तो पार्टी की जीत सुनिश्चित है।
प्रश्न : मगर नवजोत सिद्धू तो चन्नी सरकार बनने के बाद से सरकार पर सोशल मीडिया के जरिए टिप्पणी करने से नहीं रुक रहे।
उत्तर : सोशल मीडिया में चीजें स्पष्ट नहीं होती। सिद्धू को चाहिए कि वह पार्टी प्लेटफार्म या मीडिया से बात करें। सोशल मीडिया किसी भी सूरत में मीडिया का विकल्प नहीं बन सकता।
प्रश्न : आपको नहीं लगता कि सिद्धू का फोकस पार्टी की बजाय सरकार पर ज्यादा है?
उत्तर : सिद्धू को कांग्रेस पार्टी का सांगठनिक कल्चर समझना चाहिए, प्रदेश में कांग्रेस का ढांचा विकसित करना चाहिए। उन्हें समझना होगा कि उनकी प्राइमरी ड्यूटी संगठन है।