पंजाब यूनिवर्सिटी के VC के पास नहीं है असल शक्ति

punjabkesari.in Thursday, Jun 14, 2018 - 09:04 AM (IST)

चंडीगढ़ (हंस): पंजाब यूनिवर्सिटी के वी.सी. के पास असल शक्ति नहीं है। वह गड़बड़ी करने वाले फैकल्टी मैंबर के खिलाफ एक्शन नहीं  ले सकते। उन्हें जो शक्तियां सिंडीकेट की तरफ से दी जाती हैं उन्हें सिंडीकेट जब मर्जी विदड्रा कर सकती है। ये सारी शक्तियां सिंडीकेट व सीनेट सदस्यों में निहित हैं। 

 

बात करें यहां के नियमों की तो पी.यू. में अब भी 1904 के नियम अपनाए जा रहे हैं। पी.यू. के आई.ए.क्यू.ए.सी. के डायरैक्टर प्रो. राजीव लोचन ने विभिन्न यूनिवर्सिटी में सीनेट के लिए बने नियमों की तुलना कर पत्र वी.सी. प्रो. अरुण ग्रोवर के पास जमा करवाया है। 

 

साथ ही पत्र उन्होंने पी.यू. के फैकल्टी मैंबर्स के साथ भी साझा किया है। अधिकतर यूनिवर्सिटीयों में चुनाव के जरिए सीनेट सदस्य अब नहीं चुने जाते हैं पर पी.यू. में  अब भी यह प्रक्रिया जारी है। 

 

पी.यू. में सिंडीकेट, सीनेट व बी.ओ.एफ. में करीब 70 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि एच.पी.यू, जी.एन.डी.यू., के.यू. के वी.सी. में सारी शक्तियां वी.सी. में निहित रहती हैं। 

 

एक तरफ जहां गवर्नैं रिफॉर्म को लेकर कमेटी ने रिपोर्ट  बना दी है, वहीं प्रो. लोचन ने विभिन्न यूनिवर्सिटीयों को साथ लेकर तुलनात्मक अध्यन किया है।  
प्रो. लोचन ने कहा कि समय के साथ-साथ सभी यूनिवर्सिटीयों ने अपने एक्ट में बदलाव किए हैं, पर पी.यू. उसी ढर्रे पर है। इससे वी.सी. की शक्ति कम ही है। 

 

जी.एन.डी.यू., एच.पी.यू., के.यू. में डीन अकादमिक और फैकल्टी में यूनिवर्सिटी प्रोफैसर, कालेज प्रिंसीपल और  शिक्षकों को शामिल किया जाता है, जबकि पी.यू. में डीन अकादमिक में कुल 35 सदस्य हैं। 

 

इसमें 15 कॉलेज टीचर है,15 पिँ्रसीपल और 5 सीनेट सदस्य हैं। प्रो. राजीव लोचन ने कहा कि समय के साथ-साथ सीनेट में फैकल्टी मैंबर ने बोलना कम कर दिया है, जबकि  ग्रैजुएट कांस्टीच्यूएंसी  से जीतकर आए सदस्य पूरी सीनेट पर कब्जा जमाकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि  मैंने व्यक्तिगत तौर पर यह तुलना की है। 


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