चंडीगढ़ में हवा बनी जहर

punjabkesari.in Wednesday, Dec 19, 2018 - 09:24 AM (IST)

चंडीगढ़ (विजय) : चंडीगढ़ की हवा सांस लेने के लिए किस कदर तक खराब हो चुकी है। इसका अंदाजा सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। सी.पी.सी.बी. की ओर से हाल ही में 2017 की एक रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें पिछले साल के पूरे देश के एयर पॉल्यूशन लैवल के आंकड़े सामने आए। इसमें सबसे चौंकाने वाला एक आंकड़ा सामने आया कि 2017 में चंडीगढ़ ने पर्टिकुलेट मेटर (पी.एम.)-2.5 के मामले में उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया। सी.पी.सी.बी. की इस रिपोर्ट ने इस साल शहर के लोगों की टैंशन और बढ़ा दी है। 

पी.एम-10 की तुलना में अधिक खतरनाक पी.एम.-2.5 
विशेषज्ञों की मानें तो पी.एम.-10 की तुलना में पी.एम.-2.5 सेहत के लिए अधिक खतरनाक है। क्योंकि पी.एम.-10 की तुलना में पी.एम.-2.5 के कण अधिक सूक्ष्म होते हैं जोकि फेफड़ों के अधिक भीतर तक जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए चंडीगढ़ प्रशासन को इस साल पी.एम.-2.5 से निपटने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए।

दिल्ली का पी.एम.-2.5 का अधिकतम लैवल 341 एम.जी.सी.एम. और चंडीगढ़ का 498 
रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 में चंडीगढ़ के इंडस्ट्रीयल एरिया में पी.एम-2.5 का अधिकतम लैवल 498 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एम.जी.सी.एम.) तक पहुंच गया था जोकि उत्तर प्रदेश के आगरा (डी.आई.सी. ननहाई) के बराबर है। इन दोनों के अतिरिक्त देश के किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पी.एम-2.5 का लैवल इतना अधिक दर्ज नहीं किया गया। यही नहीं, देश के सबसे प्रदूषित एरिया में से एक दिल्ली में भी पी.एम.-2.5 का अधिकतम लैवल 341 एम.जी.सी.एम. रहा था जोकि जनकपुरी एरिया का था।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

bhavita joshi

Recommended News

Related News