गलत साबित हुआ सरकार का फैसला, अब करोड़ों के एग्रो मॉल में 2 साल से पसरा ‘सन्नाटा’

punjabkesari.in Wednesday, Jun 14, 2017 - 11:08 AM (IST)

पंचकूला (मुकेश): पंचकूला के सैक्टर-20 में करीब 60 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ एग्रो मॉल पिछले दो सालों से खाली ही पड़ा है। मॉल की ग्राऊंड फ्लोर और तीसरी मंजिल पर बनी करीब 118 दुकानें बिक भी चुकी हैं लेकिन मार्कीट का रिस्पांस न होने के चलते कोई भी दुकानदार यहां पर अपना बिजनैस नहीं खोल रहा है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि मंडी बोर्ड ने करोड़ों रुपए की लागत से एग्रो मॉल बना तो दिया, लेकिन उसे सही ढंग से चला पाने में नाकाम साबित हुए हैं। एग्रो मॉल बनाने पर सरकार का करोड़ों रुपए खर्च तो हुआ लेकिन रिटर्न में कुछ खास हासिल नहीं हो पा रहा है। 

 

ऐसे में सबसे अहम सवाल यही उठता है कि एग्रो मॉल बनाने का औचित्य ही क्या था? हां इतना जरूर है कि अधिकारी यह दलील जरूर देते हैं कि मॉल में बनी दुकानों को बेचकर करीब 47 करोड़ रुपए सरकार के पास वापस आ चुका है। चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि पंचकूला में एग्रो मॉल की आरक्षित कीमत जमीन के कोलेक्टर रेट और वास्तविक कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन के आधार पर 198.52 करोड़ रुपए बनती है, जबकि जमीन के मार्कीट रेट के आधार पर इतनी कीमत करीब 220.58 करोड़ रुपए बनती है।


 

आढ़तियों का आरोप- अनाज मंडी की जगह घेरी मॉल ने 
बता दें कि मंडी बोर्ड ने सैक्टर-20 स्थित अनाज मंडी की जमीन पर ही एग्रो मॉल बनाया हुआ है। मंडी में बैठे कुछ आढ़तियों का कहना था कि पहले ही मंडी के लिए जमीन कम है, ऊपर से एग्रो मॉल बनाकर मंडी का दायरा कम कर दिया गया है। करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किए गए मॉल से सरकार को कोई राजस्व का फायदा भी नहीं हो रहा है जबकि मंडी में बैठे आढ़ती सरकार को बाकायदा सरकारी फीस अदा कर रहे हैं।

 

मॉल चलाने के लिए सामान्य कार्य के लिए भी दी छूट, सफलता हाथ नहीं लगी
एग्रो मॉल चलाने के लिए अधिकारियों ने जहां पहले यह शर्त रखी थी कि एग्रो मॉल में सिर्फ कृषि संबंधी प्रोडक्ट्स की ट्रेडिंग के लिए ऑफिस खोले जा सकते हैं, लेकिन मॉल को चलाने के लिए नियमों में छूट देते हुए सामान्य कार्य के लिए भी मॉल में खुले दुकानों का इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई, लेकिन उसके बावजूद भी मार्कीटिंग बोर्ड को रिस्पॉस नहीं मिला। 


 

एग्रो मॉल में एन.आई.एफ.टी. और नगर निगम ऑफिस खोलने की चली थी बात
एग्रो मॉल तीन मंजिला बना हुआ है। ग्राऊंड फ्लोर पर दुकानें बनाई गई हैं, जिनमें से 90 दुकानें 7 हजार रुपए वर्ग फुट के हिसाब से बेची गईं। अप्रैल-2016 में दुकान खरीदारों को कब्जा भी दे दिया गया था।  पहली मंजिल पर इस समय करीब 48 हजार वर्ग फुट और दूसरी मंजिल पर भी करीब 48 हजार वर्ग फुट यानि कुल 96 हजार वर्ग फुट एरिया खाली पड़ा हुआ है। तीसरी मंजिल पर 46 दुकानें बनाई गई हैं, जिनमें से करीब 32 दुकानें चार हजार रुपए वर्ग फुट के हिसाब से बिक चुकी हैं। मॉल में कुल 118 दुकानें बिक चुकी हैं, लेकिन इस समय सिर्फ दो ही दफ्तर खुले हुए हैं, बाकियों पर ताला जड़ा हुआ है। 

 

पंचकूला नगर निगम का कोई स्थायी दफ्तर न होने के चलते विभागीय स्तर पर यह बात भी चली थी कि नगर निगम के दफ्तर को एग्रो मॉल शिफ्ट किया जाए। यही नहीं, एग्रो मॉल में ही एन.आई.एफ.टी. खोलने की भी बात चली थी लेकिन वक्त के साथ-साथ दोनों मामले ठंडे बस्ते में पड़े गए। तीन मंजिला मॉल में बाकयदा एस्केलेटर लगाए गए हैं लेकिन मॉल चालू न होने के चलते वह भी धूल फांक रहे हैं। यही नहीं, ग्राऊंड फ्लोर पर ही कई जगहों डाऊन सीलिंग भी टूटी पड़ी है।


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