दोबारा सी.आई.सी. के पास पहुंचेगा आर.टी.आई. का मामला

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 12:43 PM (IST)

चंडीगढ़(साजन शर्मा): प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर व एडवाइजर मनोज परिदा के आफिस आर.टी.आई. के दायरे में आते हैं या नहीं, इस पर जबरदस्त विवाद होने की आशंका है। चीफ इन्फोर्मेशन कमिश्नर इस बाबत चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दे चुका है कि दोनों ऑफिस आर.टी.आई. के दायरे में हैं लेकिन प्रशासन इसे मानने को तैयार नहीं। अधिकारियों की दलील है कि प्रशासक व एडवाइजर तो केवल और केवल विभागों की फाइलों को आगे बढ़ाते हैं। 

पॉलिसी मैटरों पर निर्णय लेते हैं। इन विभागों को पहले ही आर.टी.आई. के दायरे में रखा हुआ है, लिहाजा दोबारा आर.टी.आई. के दायरे में इनके दफ्तरों को शामिल करने का क्या औचित्य है? प्रिंसीपल होम सेक्रैटरी व आर.टी.आई. के नोडल अफसर अरुण कुमार गुप्ता के अनुसार सी.आई.सी. का भले ही कोई आदेश हो लेकिन प्रशासक व एडवाइजर के दफ्तर को आर.टी.आई. के दायरे में क्यों डालें, जब सारे आफिस इसमें कवर किए जा चुके हैं और इनके नोडल अफसर तैनात किए जा चुके हैं।

प्रशासक, एडवाइजर ऑफिस को आर.टी.आई. में लाने का है मामला
आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता व सामाजिक कार्यों से जुड़े हेमंत गोस्वामी ने प्रशासक व एडवाइजर के दफ्तरों को भी आर.टी.आई. के दायरे में कवर करने को लेकर बड़ी लड़ाई लड़ी थी। इस लड़ाई का सुखद अंजाम नजर नहीं आ रहा। सी.आई.सी. (चीफ इन्फोर्मेशन कमिश्नर ने इसको लेकर चंडीगढ़ प्रशासन को सख्त आदेश दिए कि दोनों आफिस आर.टी.आई. के दायरे में आते हैं लिहाजा जो भी जानकारी इसके तहत मांगी जाती है तो उसे उपलब्ध कराना प्रशासन का फर्ज बनता है। इस फैसले पर प्रशासन की आपत्ति है। आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता आर.के. गर्ग को प्रशासन का पत्र मिला है। इस पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि प्रशासक और एडवाइजर को आर.टी.आई. के दायरे में शामिल करने की कोई योजना नहीं।

गर्ग इसको लेकर सी.आई.सी. के पास दोबारा शिकायत करने जा रहे हैं। प्रशासन ने ई फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया था। प्रशासक की ओर से इसकी नोटीफिकेशन जारी की गई थी। जो प्रैस नोट प्रशासन की ओर से भेजा गया उसमें कहा गया कि प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर और एडवाइजर मनोज परिदा का आफिस भी ई फाइल ट्रैकिंग के दायरे में रहेगा। यानि जिस कदम पर भी फाइल रुकती है उसका पारदर्शी तरीके से तुरंत खुलासा होगा। अब एक ही तरह के दो मामलों में प्रशासन अलग-अलग नीति क्यों अपना रहा है, यह समझ से परे है।


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bhavita joshi

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