हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जर्मनी दौरे पर गई सहायक प्रोफैसर रेनू बाला

Monday, Jun 17, 2019 - 10:47 AM (IST)

चंडीगढ़(रमेश हांडा): जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, एफ.एच. में जर्मन यूनिवर्सिटी और पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कॉमन प्रोजैक्ट के तहत छुट्टी लेकर जर्मनी जाने के मुद्दे पर एम.सी.एम. डी.ए.वी. कॉलेज, सैक्टर-36 में भौतिकी विभाग की सहायक प्रोफेसर रेणु बाला को उच्च न्यायालय से राहत मिली है। 

जर्मन यूनिवर्सिटी व पंजाब यूनिवसिर्वटी के बीच सहयोग के तहत चल रही एक परियोजना के लिए डॉ. रेणु बाला को 15 जून से 7 जुलाई तक जर्मन यूनिवर्सिटी जाने का अवसर मिला था। यात्रा पूरी तरह से प्रायोजित थी। इस तरह की यात्रा न केवल शिक्षक के लिए बल्कि कॉलेज के लिए भी बहुत सम्मान की बात माना जाता है। इसके बावजूद, एम.सी.एम. डी.ए.वी. कॉलेज की प्रिंसीपल डॉ. निशा भार्गव ने रेणु बाला को उक्त अवधि के लिए अनुमति देने से इन्कार कर दिया और उन्हें केवल 23 जून तक की ही छुट्टी दी। 

उल्लेखनीय है कि भारत से बाहर अवकाश का लाभ लेने के लिए कर्मचारी को प्रबंधन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है। हालांकि हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय दिया है कि अवकाश के दौरान किसी विदेशी स्थान पर जाने के लिए एन.ओ.सी. की आवश्यकता नहीं है। डॉ. रेणु बाला ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन उनमें से किसी ने भी प्रिंसीपल को कैलेंडर का पालन करने और उन्हें छुट्टी देने के लिए राजी करना उचित नहीं समझा। 

नहीं था कोई विकल्प
प्रिंसीपल द्वारा ए.सी.आर. (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) को बिगाडऩे की लगातार धमकियों के बाद डॉ. रेणु बाला ने दिल्ली जाकर प्रबंधन से अनुरोध किया कि वे उन्हें गर्मी की छुट्टियों के दौरान छोड़ दें लेकिन सभी व्यर्थ रहा। उच्च न्यायालय के पास जाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। उनके वकील नितिन जैन ने अदालत को उनके निमंत्रण के बारे में सूचित किया और कहा कि  याचिकाकर्त्ता ने निदेशक, उच्च शिक्षा को हस्तक्षेप के लिए लिखा था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अधिवक्ता नितिन जैन द्वारा रिट दायर की गई थी। विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने डॉ. रेणु बाला जुलाई तक कार्यशाला में भाग लेने की अनुमति दी। वह 8 जुलाई 2019 से अपने काम पर लौटेंगी। 

bhavita joshi

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