हादसे ने तोड़ा डांस में करियर का सपना फिर सीखा गाना और बन गई सिंगर

punjabkesari.in Wednesday, Feb 20, 2019 - 01:41 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : चालीस वर्षीय शीनू पहले एक ट्रेंड डांसर के रूप में जानी जाती थीं, जबकि अब वे एक ऐसी गायिका भी हैं, जिन्होंने तमाम बाधाओं का मुकाबला करते हुए अपना पहला गाना- चन्न मखना तैयार किया है, जिसको मंगलवार को लॉन्च किया गया। पंचकूला की रहने वाली शीनू ने शादी से पहले एक पायलट के रूप में काम किया था, लेकिन 24 साल की उम्र में ही उनके डांसिंग करियर खत्म हो गया, जब वह एक हादसे का शिकार हो गई। 

कोमा से बाहर आई तो सब खत्म हो चुका था
एक डांसर और सिंगर के रूप में शीनू ने कई मंचों पर अपने कार्यक्रम दिए, लेकिन दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी और सिर पर गंभीर चोटें आईं, जिससे वे कोमा में चली गईं। वे दो महीने के बाद कोमा से बाहर आई, लेकिन उनकी याददाश्त चली गई। डांस उनका जुनून और सपना हुआ करता था, जोकि हादसे के साथ खत्म हो गया। 

फिर शुरू की सिंगिंग
हादसे के बावजूद शीनू ने उम्मीद नहीं खोई और अपने पति की मदद से फिजियोथैरेपी और योग के जरिए उन्होंने सहारा लेकर चलना शुरू कर दिया। तभी उन्होंने सिंगिंग करियर दोबारा शुरू किया। शीनू की मानें तो भगवान ने उन्हें दूसरा जीवन दिया है। उन्होंने कहा कि मुश्किल हालात के बावजूद मैं जी सकी, ताकि सिंगर को एक प्रोफैशन के रूप में अपना सकूं। यह किस्मत थी जिसने मुझे म्यूजिक डायरैक्टर सुखपाल सुख से मिलाया, जिन्होंने मुझे अपने दोबारा गाने के लिए प्रेरित किया।

सपना जीना चाहती हूं
शीनू कहती हैं कि भले ही एक पायलट के रूप में मैं अब विमान नहीं उड़ा सकतीं और शारीरिक बाधाओं के चलते डांस भी नहीं कर सकतीं, लेकिन अब सिंगर के  तौर पर एक बार फिर अपना सपना जीना चाहती हूं। 

यह सोचकर नहीं जी सकती कि फिजीकली वीक हूं
मैं इससे पहले मानसिक रूप से इतनी मजबूत नहीं थी लेकिन एक्सीडेंट के बाद मेरी सोच बहुत बदल गई है। 6 महीने में मैंने धीरे धीरे चलना शुरू किया था। कई बार गिरती थी जिसके कारण कई फ्रैक्चर हो चुके हैं, फिर भी हमेशा मजबूत रहती हूं। मैं यह सोचकर नहीं जी सकती कि मैं फिजीकली वीक हूं। परेशानियों के बावजूद, मैंने सिंगिंग के अपने जुनून को अपना लिया है। कमजोरी के बावजूद मैं घर के काम, बच्चों को पढ़ाना, गाना जैसे कई मल्टीटास्क करती हूं। अपनी इस जर्नी के उन लोगों के लिए मिसाल बनना चाहती हूं जो फिजिकली किसी कारण जीने की आस छोड़ देते हैं। 


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bhavita joshi

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