डैंटल प्रोसिजर्स में पेशैंट और डॉटर के बीच एयरोसोल कैनोपी बनेगी सुरक्षा कवच

punjabkesari.in Thursday, May 21, 2020 - 11:02 AM (IST)

चंडीगढ़ (अर्चना) : पी.जी, आई. के ओरल हैल्थ सँँटर ने डैंटल सर्जन्स को कोरोना वायरस से दूर रखने के लिए खास किस्म की एयरोसोल कैनोपी डिजाइन की है। डैंटल और ओरल हैल्थ डॉक्टर्स को डैंटल प्रोसिजर्स के दौरान यह कैनोपी संक्रमित पेशैंट के मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलैट्स से बचाएगी। यह कैनोपी डैंटल सर्जन्स का सुरक्षा कवच बनकर पेशैंट्स के श्वास मार्ग से उन्हें दूर रखेगी और डाक्टर कैनोपी में हाथ डालकर पेशैंट के मुंह के अंदर आसानी से डैंटल प्रोसिजर कर सकेंगे। 

 

ओरल हैल्थ सैंटर के एच. ओ.डी. प्रो. कृष्ण गाबा ने का एक फर्म को एयरोसोल कैनोपी का डिजाइन देकर पॉलीविनाइल क्लोराइड की 5 कैनोपी बनाने का आर्डर दिया है ।एक कैनोपी पंद्रह हजार में तैयार होगी। पी.जी.आई. सी.एस. आई. आर. -सी.एस. आई. ओ. से मिलकर कैनोपी का प्रोटोटाइप भी तैयार कर चुका है।

 

डी.सी.आई. ने जारी की ये गाइडलाइन
डैंटल कौंसिल ऑफ इंडिया (डी.सी.आई.) ने एडवाइजरी जारी करते हुए कंटेनमैंट जोन के डैंटल लीनिक बंद रखने की सलाह दी है। रैड, ग्रीन, ओरेंज जोन में सिर्फ इमरजैंसी डैंटल प्रोसिजर्स करने के लिए कहा है। कौंसिल ने टेलीमैडीसिन के जरिए पेशैंट्स के मर्ज के इलाज को दवाएं प्रिसक्राइब करने का परामर्श दिया है और कहा है कि जो डैंटल प्रोसिजर टाले जा सकते हैं उन्हें टाला जाए। फिलहाल ओरल कैंसर स्क्रीनिंग को भी रोकने के लिए कहा है। 

 

लॉकडाऊन में एमरजैंसी में भी किया गया पेशैंट्स का ट्रीटमैंट
ओरल हैल्थ सैंटर के एच.ओ.डी. प्रो. कृष्ण गाबा का कहना है कि पी.जी.आई. ने लॉकडाऊन के दौरान भी इमरजैंसी में आने वाले दांत के पेशैंट्स का ट्रीटमैंट किया है। एक दिन में 50 से अधिक प्रोसिजर किए जा रहे हैं। अब टेलीमैडीसिन के जरिए पेशैंट्स की बीमारी जानने के बाद उन्हें दवाएं बताई जा रही हैं पंरतु जिन पेशैंट्स के मुंह में ब्लीडिंग, दर्द या सोजिश है उनके प्रोसिजर करने ही होंगे। 

 

डैंटल सर्जन्स को पेशैंट के मुंह के बिल्कुल नजदीक जाकर प्रोसिजर करने होते हैं ऐसे में उनके संक्रमित होने का सर्वाधिक रिस्क होता है। एन-95 मास्क और पी.पी.ई. किट्स का इस्तेमाल सावधानी से किया जा रहा है और अब कैनोपी के साथ डॉटर्स और सुरक्षित हो जाएंगे। जर्मनी और अन्य देश ऐसी कैनोपी का इस्तेमाल कर रहे थे, पी.जी.आई. ने जर्मन की कैनोपी में थोड़े बदलाव किए हैं। 


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pooja verma

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