प्रशासन का जवाब-महिला एक ही किडनी के साथ पैदा हुई थी

Tuesday, Jul 17, 2018 - 12:49 PM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): मनीमाजरा के सिविल हॉस्पिटल में सिजेरियन से बच्चे को जन्म देने वाली महिला द्वारा किडनी गायब करने के आरोपों वाली याचिका में प्रशासन ने अपने जवाब में चौंकाने वाला खुलासा किया है। कहा गया है कि याची महिला के मांग पत्र पर गौर किया गया था। वहीं मैडीकल रिपोर्ट भी प्राप्त की गई। इसमें सामने आया कि याची की बाईं किडनी निकाली नहीं गई थी। 

 

वह एक किडनी के साथ ही पैदा हुई थी। ऐसे में जब वह गर्भवती थी और मनीमाजरा हॉस्पिटल में दाखिल थी उस समय किडनी निकाले जाने के आरोप साबित नहीं होते। निर्मल शर्मा ने चंडीगढ़ प्रशासन, सी.बी.आई. और अन्यों को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में 2016 में यह याचिका दायर की थी।

 

बना था मैडीकल बोर्ड 
चंडीगढ़ प्रशासन के हैल्थ एंड फैमिली वैल्फेयर के डायरैक्टर ने जनवरी में हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी। बताया था कि याची की जांच के लिए मैडीकल बोर्ड गठित किया गया है, जिसमें चेयरमैन जी.एम.सी.एच. के सर्जरी विभाग के हैड डाक्टर ए.के. अत्री हैं, जबकि अन्य मैंबर्स में पी.जी.आई. के डिपार्टमैंट ऑफ रीनल ट्रांसप्लांटेशन के डाक्टर आशीष शर्मा, जी.एम.सी.एच. की डिपार्टमैंट ऑफ गायनोकलॉजी डा. पूनम गोयल, जी.एम.सी.एच. की डिपार्टमैंट ऑफ एनेस्थिसिया की डा. सुकन्या मित्रा व जी.एम.एस.एच.-16 के इंचार्ज रेडियोलॉजी डा. कर्म सिंह शामिल थे। 

 

यह आरोप जड़े थे महिला ने
महिला ने कहा था कि उन्होंने मनीमाजरा की सरकारी डिस्पैंसरी में सिजेरियन से बच्चे को जन्म दिया था। सैक्टर-5 पंचकूला में उनका अग्रेसन चैरिटेबल डायग्नोस्टिक सैंटर में चैकअप हुआ। यहां अल्ट्रासांऊड में पता चला कि उनकी बाईं किडनी गायब है। 

 

डायरैक्टर हैल्थ एंड फैमिली वैल्फेयर को महिला ने शिकायत दी। उसका दावा था कि उसकी कोई सर्जरी नहीं हुई थी। याची ने संबंधित डिस्पैंसरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। हाईकोर्ट ने संबंधित प्रतिवादी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि जांच पुलिस से क्यों न करवाई जाए।


 

Punjab Kesari

Advertising